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आगरा

बच्चों के ये सिरप और दवाएं हैं बेहद खतरनाक, FSDA की मिलीभगत उजागर, जांच का आदेश

-दो माह में 1.5 करोड़ की दवाइयां जब्त-63 लाख रुपये मूल्य के कफ सीर को छोड़ा-डीएम के हस्तक्षेप के बाद की गई कार्रवाई-अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा गोरखधंधा-ड्रग माफियाओं से मिलीभगत की जांच होगी

आगराSep 01, 2019 / 03:35 pm

धीरेंद्र यादव

बच्चों के ये सिरप और दवाएं हैं बेहद खतरनाक, FSDA की मिलीभगत उजागर, जांच का आदेश

बच्चों के ये सिरप और दवाएं हैं बेहद खतरनाक, FSDA की मिलीभगत उजागर, जांच का आदेश

आगरा। ड्रग अधिकारियों की ड्रग कारोबारियों से मिली भगत का मामला सामने आया है। औषधि विभाग ने बीते दो माह की कार्रवाई में करीब 1.5 करोड रुपये कीमत का माल अलग-अलग जगह से सीज किया था। इसमें बिल दिखाने के नाम पर मालवा ट्रांसपोर्ट से पकड़े गये करीब 63 लाख रुपये कीमत के फैंसिडिल सीरप ( Phensedyl cough syrup) को ड्रग अधिकारियों ने छोड़ दिया। 21 लाख रुपये की कीमत की दवाइयां इसी ट्रांसपोर्ट से छापेमारी के दौरान कफ सीरप के साथ पकड़ी गई थी। इन दवाइयों का किसी ने दावा नहीं किया। विभाग ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जब इस मामले में जिलाधिकारी एनजी रविकुमार (DM agra NG ravi kumar) से शिकायत की गई तो खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (Food Safety and Drug Administration)) के निरीक्षक के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया है। जिलाधिकारी ने ड्रग का अवैध कारोबार करने वालों पर कडी कार्रवाई के निदेश दिये। खुद पर कार्रवाई की तलवार लटकती देख हरकत में आये ड्रग अधिकारियों ने मालवा प्रकरण में संजय प्लेस स्थित एचबी इंटरप्राइजेज व कर्मयोगी कमला नगर स्थित हर्ष एजेंसी, फव्वारा मार्केट स्थित एके इंटरप्राइजेज के ड्रग लाइसेंस निरस्त कर दिये हैं।
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क्या है मालवा ट्रांसपोर्ट प्रकरण
औषधि विभाग ने शाहदरा स्थित मालवा ट्रांसपोर्ट गोदाम में 9 जुलाई, 2019 को छापा मार 63 लाख रुपये की 40 हजार फैंसिडिल कफ सीरप की 400 पेटियां के साथ करीब 21 लाख रुपये की दवाइयां जब्त की थी। छापेमारी के दौरान औषधि विभाग की टीम को कोई बिल नहीं दिखाय़ा गय़ा था। बाद में औषधि अधिकारियों ने बताया कि कारोबारी ने बिल दिखाय़ा था जिसके आधार पर कफ सीरफ के जब्त माल को छोड़ दिया था, जबकि दवाओं का किसी ने दावा नहीं किया है। ऐसे में जब्त 21 लाख की दवाईयां विभाग के पास हैं।
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क्षमता से अधिक प्रतिबंधित सीरफ के भंडारण से उठे सवाल
नारकोटिक्स प्रतिबंधित फैंसिडिल कफ सीरप का प्रयोग नशे के लिए किया जाता है। इस कारण इसका अवैध कारोबार होता है। फैंसिडिल कफ सीरप को बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं बेचा जा सकता है। फैंसिडिल कफ सीरप की इतनी बडी खेप को आखिर कहां खपाया जाना था? किन इलाकों में और किस फर्म को भेजा जा रहा था? इसकी भी पडताल शुरू की गई है। यह कफ सीरप के उपचार के साथ ही बडे पैमाने पर नशे के लिए इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में कोई भी कारोबारी इतनी बड़ी तादाद में इसे नहीं रख सकता। इस मामले जिलाधिकारी के संज्ञान लेने के बाद पुनः कार्रवाई शुरू की गई ।
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ट्रांसपोर्ट पर कसा जायेगा शिकंजा
ड्रग विभाग ने जांच के दौरान ट्रांसपोर्टर को दोषी पाया है। छापेमारी के दौरान कफ सीरफ के अलावा कई दवाओं के सैम्पल व नकली एंटीबायोटिक दवाइयां बरामद हुई थीं। इजसके सात सैम्पल लैब भेजे गये थे, जिसमें चार फेल पाये गये हैं। पकड़ी गई 21 लाख रुपये की कीमत की दवा का कोई दावेदार न होने से ट्रांसपोर्टर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। ड्रग अधिकारी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी आगरा को सौंपेगे।
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वाणिज्य कर अधिकारियों ने नहीं लिया संज्ञान
ड्रग विभाग की कार्रवाई के बाद भी बिना बिल ट्रांसपोर्ट किये जा रहे माल का वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया है। बीते दो माह में करीब 1.5 करोड रुपये का माल विभिन्न जगह से जब्त किया गया । लेकिन बिना बिल पकड़े गये माल पर वाणिज्य कर विभाग ने जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई करना उचित नहीं समझा है। यही वजह है कि अवैध गोरखधंधों पर संयुक्त कार्रवाई न होने से माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
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जिलाधिकारी के रडार पर ड्रग विभाग
औषधि का नाम आते ही लोगों को इलाज का आभास होता है, लेकिन दवाओं के नाम पर जहर बेचा जा रहा है। ड्रग विभाग की कार्रवाई में जो तथ्य सामने आये हैं, उसमें आगरा में नकली दवा के कारोबार की जांच में सैम्पल फेल होने से पुष्टि हुई है। ड्रग के इस गोरखधंधे में जो लोग शा

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