औषधि विभाग ने शाहदरा स्थित मालवा ट्रांसपोर्ट गोदाम में 9 जुलाई, 2019 को छापा मार 63 लाख रुपये की 40 हजार फैंसिडिल कफ सीरप की 400 पेटियां के साथ करीब 21 लाख रुपये की दवाइयां जब्त की थी। छापेमारी के दौरान औषधि विभाग की टीम को कोई बिल नहीं दिखाय़ा गय़ा था। बाद में औषधि अधिकारियों ने बताया कि कारोबारी ने बिल दिखाय़ा था जिसके आधार पर कफ सीरफ के जब्त माल को छोड़ दिया था, जबकि दवाओं का किसी ने दावा नहीं किया है। ऐसे में जब्त 21 लाख की दवाईयां विभाग के पास हैं।
नारकोटिक्स प्रतिबंधित फैंसिडिल कफ सीरप का प्रयोग नशे के लिए किया जाता है। इस कारण इसका अवैध कारोबार होता है। फैंसिडिल कफ सीरप को बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं बेचा जा सकता है। फैंसिडिल कफ सीरप की इतनी बडी खेप को आखिर कहां खपाया जाना था? किन इलाकों में और किस फर्म को भेजा जा रहा था? इसकी भी पडताल शुरू की गई है। यह कफ सीरप के उपचार के साथ ही बडे पैमाने पर नशे के लिए इस्तेमाल होने लगा है। ऐसे में कोई भी कारोबारी इतनी बड़ी तादाद में इसे नहीं रख सकता। इस मामले जिलाधिकारी के संज्ञान लेने के बाद पुनः कार्रवाई शुरू की गई ।
ड्रग विभाग ने जांच के दौरान ट्रांसपोर्टर को दोषी पाया है। छापेमारी के दौरान कफ सीरफ के अलावा कई दवाओं के सैम्पल व नकली एंटीबायोटिक दवाइयां बरामद हुई थीं। इजसके सात सैम्पल लैब भेजे गये थे, जिसमें चार फेल पाये गये हैं। पकड़ी गई 21 लाख रुपये की कीमत की दवा का कोई दावेदार न होने से ट्रांसपोर्टर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। ड्रग अधिकारी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी आगरा को सौंपेगे।
ड्रग विभाग की कार्रवाई के बाद भी बिना बिल ट्रांसपोर्ट किये जा रहे माल का वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया है। बीते दो माह में करीब 1.5 करोड रुपये का माल विभिन्न जगह से जब्त किया गया । लेकिन बिना बिल पकड़े गये माल पर वाणिज्य कर विभाग ने जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई करना उचित नहीं समझा है। यही वजह है कि अवैध गोरखधंधों पर संयुक्त कार्रवाई न होने से माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
औषधि का नाम आते ही लोगों को इलाज का आभास होता है, लेकिन दवाओं के नाम पर जहर बेचा जा रहा है। ड्रग विभाग की कार्रवाई में जो तथ्य सामने आये हैं, उसमें आगरा में नकली दवा के कारोबार की जांच में सैम्पल फेल होने से पुष्टि हुई है। ड्रग के इस गोरखधंधे में जो लोग शा