बताया जा रहा है कि कोटा बैराज से छोड़े गए 3 लाख क्यूसेक पानी के कारण नदी खतरे के निशान के करीब बह रही है। चंबल नदी का पानी पास के ही तटवर्ती तीन दर्जन गांवों के संपर्क मार्गों में भर गया है, जिससे इन गांवों की स्थिति गंभीर हो गई है। प्रशासन ने तटवर्ती गांवों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है और नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है। राजस्व टीमों को नदी के किनारे के गांवों में तैनात किया गया है और ग्रामीणों को चंबल नदी के किनारे न जाने की हिदायत दी है।
नदी के तटवर्ती गांवों में बाढ़ चौकियों की स्थापना
आगरा जिले के बाह तहसील की उप जिलाधिकारी सृष्टि सिंह ने पिनाहट घाट पर पहुंचकर चंबल नदी का जायजा लिया और अधिकारियों को तटवर्ती गांवों में तैनात रहने के निर्देश दिए हैं। इलाके में बाढ़ चौकियों की भी स्थापना की गई है, ताकि स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा सके। बाढ़ के कारण चंबल नदी के किनारे की बाजरा, तिलहन, उड़द और मूंग की फसलों को भी जलमग्न कर दिया है। इसके साथ ही पिनाहट घाट पर स्टीमर संचालन भी बंद कर दिया गया है। प्रशासन और राहत कार्यकर्ता क्षेत्र की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगातार जुटे हैं।
125 मीटर पर पहुंचा चंबल नदी का जलस्तर
इलाके में चंबल नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ रहा है। जलस्तर प्रति घंटा 30 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ता जा रहा है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में चंबल नदी का जलस्तर 125 मीटर पर पहुंच चुका है। खतरे का निशान 130 मीटर है। एक स्थानीय निवासी ने चंबल नदी में बढ़ रहे जलस्तर की जानकारी देते हुए आईएएनएस को बताया कि क्षेत्र में इस बारिश की वजह से लोगों के घरों में पानी भरना शुरू हो गया है। घर से निकलना बड़ा मुश्किल हो रहा है। फसलें डूब गई हैं।