टाट-पट्टी का जमाना गया, अब मोबाइल व कम्प्यूटर पर शिक्षा ग्रहण का समय
-भारत को विश्व के विकसित बनाने के लिए शिक्षकों को डिजिटली अपग्रेड होना जरूरीः प्रो. डीडी कौशिक
-आगरा कॉलेज के जन्तु विज्ञान विभाग के संयोजन में ई-शिक्षा पर सात दिवसीय कार्यशाला प्रारम्भ
आगरा। ई-एजूकेशन एण्ड इट्स टूल्स-ए स्टेप टुवर्ड्स डिजिटल इण्डिया’’ विषय पर जन्तु विज्ञान विभाग के संयोजन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना तकनीकी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आगरा कॉलेज, आगरा में प्रारम्भ हुई। सात दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। इस मौके पर कहा गया कि भारत को विश्व के विकसित देशों के समकक्ष ले जाने के लिए शिक्षकों को डिजिटली अपग्रेड होना जरूरी है।
तकनीकी ज्ञान हासिल करें शिक्षक कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए विनायक मिशन्स सिक्किम विश्वविद्यालय, गंगटोक के पूर्व कुलपति प्रो0 डीडी कौशिक ने ई-लर्निंग व ई-शिक्षा के लाभ के सन्दर्भ में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि आज के समय में ई-लर्निंग व डिस्टेंस एजूकेशन की अत्यन्त आवश्यकता है, इसे नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने भारत सरकार की ई-लर्निंग योजनाओं जैसे मॉक कोर्स, ऑनलाईन रिफ्रेशर कोर्स तथा अन्य फैकल्टी डेवलपमेन्ट प्रोग्राम के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने इस विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान युग में भारत को विश्व के विकसित देशों के समकक्ष ले जाने के लिए शिक्षा का डिजिटाइजेशन अति आवश्यक है और यह तभी सम्भव है जब शिक्षक ई-शिक्षा के प्रति अपनी रुचि प्रदर्शित करें। उन्होंने शिक्षकों को तकनीकी ज्ञान से अध्ययतन रहने की सीख भी दी।
ई-शिक्षा कई मायनों में महत्वपूर्ण आगरा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी ने शिक्षा की पारम्परिक तौर-तरीकों का वर्तमान तकनीकी से तुलना करते हुए कहा कि ई-शिक्षा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि प्रो0 कौशिक एवं प्राचार्य डा0 माहेश्वरी ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
कम्प्यूटरीकृत शिक्षा समय की मांग कार्यशाला के उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. वीरेन्द्र चैहान ने कहा कि कम्प्यूटरीकृत शिक्षा समय की मांग है। पहले जैसे हम लोग टाट-पट्टी पर शिक्षा ग्रहण करते थे, आज मोबाइल व कम्प्यूटर पर शिक्षा ग्रहण करना समय की आवश्यकता है। हमारे शिक्षक साथियों को समय के साथ चलते हुए ई-एजूकेशन पर गहन दक्षता प्राप्त करनी चाहिये।
शिक्षक अपना दिमाग शांत रखें तकनीकी सत्र को सम्बोधित करते हुए दयालबाग विश्वविद्यालय की शिक्षा संकाय की डीन डॉ. अर्चना कपूर ने शिक्षकों के व्यक्तित्व विकास पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को दिमाग शान्त एवं संयमित रखते हुए कक्षा के वातावरण को अपने विषय के अनुरूप कर लेना चाहिये, जिससे छात्रों को विषयवस्तु में रूचि पैदा हो सके। संयोजक डॉ. वीके सिंह ने कार्यशाला की भूमिका पर प्रकाश डाला। उद्घाटन समारोह का संचालन डॉ गौरांग मिश्रा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ अमिता सरकार ने किया।
ये रहे उपस्थित अतिथियों का स्वागत डॉ. अजय कपूर, डॉ. वाईएन त्रिपाठी, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. सुजाता, डॉ. गीता माहेश्वरी, डॉ. शादां जाफरी, डॉ. दिग्विजय पाल सिंह, डॉ. उमेश शुक्ला, डॉ. जीनेश, डॉ. आनंद प्रताप सिंह, डॉ. केशव सिंह, डॉ. शिवकुमार सिंह, डॉ. रीता निगम प्रेमसागर ने पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह् प्रदान कर किया।
दो व्याख्यान उद्घाटन समारोह में मुख्य रूप से डॉ. एसके खण्डेलवाल, डॉ. मनोज रावत, डॉ. अरुणोदय वाजपेयी, डॉ. पीवी झा, डॉ. भूपेन्द्र सिंह, डॉ. बीके शर्मा, डॉ. अंशु चैहान, डॉ. अनुराग पालीवाल, डॉ. रेखा पतसरिया, डॉ. ममता सिंह, डॉ. क्षमा चतुर्वेदी, डॉ. मिथलेश शुक्ला, डॉ. दीपक उपाध्याय, डॉ. प्रियम अंकित, डॉ. सीके गौतम, डॉ. कल्पना चतुर्वेदी, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. भूपेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे। मीडिया कोर्डीनेटर डा0 अमित अग्रवाल के अनुसार कार्यशाला के दूसरे दिन प्रथम सत्र में जेनेटिक्स विभाग, वरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के डीन प्रो0 अशोक कुमार मुंजाल ’’सर्च इंजन का प्रयोग’’ पर अपना व्याख्यान देंगे। दूसरे सत्र में इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडीकल साइंसेज, ग्वालियर के निदेशक प्रो0 संत कुमार भटनागर ’’ई-लर्निंगः ए न्यू टूल इन कैंसर अवेयरनेस प्रोग्राम’’ पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।