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Search Engine का उपयोग कर अपने शोध को प्रभावी और जनोपयोगी बनाएं शिक्षक

locationआगराPublished: Jan 09, 2020 12:30:20 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

-आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी पर मानव का सम्पूर्ण नियंत्रण होना चाहिएः प्रो. मनुप्रताप सिंह
-आगरा कॉलेज में ई-शिक्षा पर सात दिवसीय कार्यशाला का दूसरा दिन

Workshop

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आगरा। जन्तु विज्ञान विभाग के संयोजन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना तकनीकी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित ’’ई-एजूकेशन एण्ड इट्स टूल्स-ए स्टेप टुवर्ड्स डिजिटल इण्डिया’’ विषय पर सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आगरा कॉलेज, आगरा में चल रही है। शिक्षकों का आह्वान किया गया कि वे सर्च इंजन का उपयोग करके अपने शोध को प्रभावी और जनोपयोगी बना सकते हैं।
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76 फीसदी लोग गूगल का प्रयोग करते हैं

वरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल में जेनेटिक्स विभाग के डीन प्रोफेसर अशोक कुमार मुंजाल ने ’’सर्च इंजन का प्रयोग’’ विषयक सत्र में विभिन्न सर्च इंजन के प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इंटरनेट पर प्रभावी सर्च कैसे करें, जिससे इंटरनेट पर रिसर्च पेपर, पुस्तक, शोध ग्रन्थ आदि आसानी से सर्च कर सकें। इसके लिए कई प्रचलित सर्च इंजन जैसे गूगल, अल्टाविस्टा, एक्साइट, होटबोट, वेबक्रेवर, मेटाक्रेवर आदि सर्च इंजन के बारे में बताया। उन्होंने उपस्थित शिक्षकों को अपील की कि वे अपने शोध कार्य हेतु इन सर्च इंजन का अधिक से अधिक उपयोग कर अपनी शोध को प्रभावी व जनउपयोगी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि 2019 तक गूगल को सर्वाधिक 76 प्रतिशत लोग सर्च इंजन के रूप में प्रयोग करते रहे हैं।
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इंटरनेट के प्रयोग में भारत का स्थान तीसरा

उन्होंने इन्टरनेट सर्चिंग की तुलना सागर मंथन से करते हुए कहा कि किस प्रकार इस नेटवर्क रूपी सागर से हम महत्वपूर्ण व उपयोगी सामग्री निकाल सकते हैं। प्रोफेसर मुंजाल ने बताया कि ’’फ्रेज सर्चिंग’’ सबसे प्रभावशाली सर्च तकनीक है, जिससे सटीक परिणाम मिलते हैं। उन्होंने बताया कि इंटरनेट के प्रयोग में भारत का स्थान तीसरा है, जबकि चीन दूसरे व अमेरिका तीसरे स्थान पर है। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. अरुणोदय वाजपेयी ने की।
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आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी

द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर मनु प्रताप सिंह ने ’’आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी’’ पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी के महत्व एवं उपयोग के बारे बताते हुए कहा कि वर्तमान में अपनी क्षमताओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए हम आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने ई-लर्निंग के लिए आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी को कैसे प्रयोग कर सकते हैं, इसका प्रयोग करके समझाया। प्रोफेसर मनुप्रताप सिंह ने बताया कि वर्तमान में वैश्विक बाजार आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी पर आधारित है, चाहे वह स्मार्ट घर हो या स्मार्ट फोन अथवा स्मार्ट होम एप्लाइन्सिस। उन्होंने इस बात के लिए भी सचेत किया कि इसका अत्यधिक उपयोग मानवता के लिए खतरा भी है, नौकरियों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। अतः आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी पर मानव का सम्पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए। आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी का विकास ऐसे हो जिस पर मानव का पूर्ण नियंत्रण हो। प्रत्येक काम यदि आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्सी अर्थात रोबोट के द्वारा सम्पादित होगी, तो मानव की क्या उपयोगिता रह जायेगी। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. रचना सिंह ने की।
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इन्होंने संभाली व्यवस्थाएं

दोनों सत्रों का संचालन डॉ. अमिता सरकार एवं डॉ. गौरांग मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। संयोजक डॉ. वीके सिंह ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया। कार्यशाला के चेयरमैन डॉ. अजय कपूर ने आभार व्यक्त किया। डॉ. गीता माहेश्वरी, डॉ.शादां जाफरी, डॉ. दिग्विजय पाल सिंह, डॉ. जीनेश, डॉ. आनंद प्रताप सिंह, डॉ. केशव सिंह ने व्यवस्थाएं सम्भालीं।

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