यहां से निकला बारावफात का जुलूस
ईद मीलादुन्नवी के अवसर पर गढ़ैया हकीमान हॉस्पीटल से विशाल जुलूस ए मोहम्मदी शुरू हुआ। इस जुलूस की अगुवाई सैय्यद इरफान अहमद सलीम व समी आगाई ने संयुक्त रूप से की। इस जुलूस में शामिल होने के लिए करबला से शम्मी कुरैशी एवं बेगम डियौढ़ी पाय चौकी से सूफी बुंदन मियां के नेतृत्व में निकला, जो हॉस्पीटल, रोड पर पहुंचा। वहीं एक विशाल जुलूस फुव्वारा चौराहा, किनारी बाजार, कसरेट बाजार, सुभाष बाजार होते हुए शाही जामा मस्जिद पर पहुंचकर हाजी विलाल कुरैशी के नेतृत्व वाले जुलूस में शामिल हुआ।
ईद मीलादुन्नवी के अवसर पर गढ़ैया हकीमान हॉस्पीटल से विशाल जुलूस ए मोहम्मदी शुरू हुआ। इस जुलूस की अगुवाई सैय्यद इरफान अहमद सलीम व समी आगाई ने संयुक्त रूप से की। इस जुलूस में शामिल होने के लिए करबला से शम्मी कुरैशी एवं बेगम डियौढ़ी पाय चौकी से सूफी बुंदन मियां के नेतृत्व में निकला, जो हॉस्पीटल, रोड पर पहुंचा। वहीं एक विशाल जुलूस फुव्वारा चौराहा, किनारी बाजार, कसरेट बाजार, सुभाष बाजार होते हुए शाही जामा मस्जिद पर पहुंचकर हाजी विलाल कुरैशी के नेतृत्व वाले जुलूस में शामिल हुआ।
जोशीली दिखा अंदाज
पैगंबर हजरत मुहम्मद के जनमदिवस के अवसर पर जोशीला अंदाज दिखाई दिया। बारावफात के जुलूस शहरभर में दिखाई दिए, जिसमें युवाओं का जोशीला अंदाज दिखाई दिया। जब ये जुलूस शाही जामा मस्जिद पहुंचे, तो वहां का नजारा देखते ही बन रहा था। रोड़ पूरी तरह आस्था के सैलाब से लबालब भरा हुआ था। तिरंगा इस यात्रा में शान से लहरा रहा था। बार बार एक ही आवाज़ हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद और गजब का उत्साह और जोश नजर आ रहा था।
पैगंबर हजरत मुहम्मद के जनमदिवस के अवसर पर जोशीला अंदाज दिखाई दिया। बारावफात के जुलूस शहरभर में दिखाई दिए, जिसमें युवाओं का जोशीला अंदाज दिखाई दिया। जब ये जुलूस शाही जामा मस्जिद पहुंचे, तो वहां का नजारा देखते ही बन रहा था। रोड़ पूरी तरह आस्था के सैलाब से लबालब भरा हुआ था। तिरंगा इस यात्रा में शान से लहरा रहा था। बार बार एक ही आवाज़ हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद और गजब का उत्साह और जोश नजर आ रहा था।
ये है इस त्योहार का महत्व
ईद मिलादुन्नबी का पाक पर्व मौलिद मावलिद के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन 570 ईसवी में पैगंबर हजरत मुहम्मद का मक्का में जन्म हुआ था। इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को उनका जन्म माना जाता है। इस दिन लोग नमाज पढ़ते हैं, शायरी और कविताओं के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। यह दिन पैगंबर मुहम्मद और उनके उपेदेशों को पूरी तरह समर्पित होता है।
ईद मिलादुन्नबी का पाक पर्व मौलिद मावलिद के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन 570 ईसवी में पैगंबर हजरत मुहम्मद का मक्का में जन्म हुआ था। इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को उनका जन्म माना जाता है। इस दिन लोग नमाज पढ़ते हैं, शायरी और कविताओं के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। यह दिन पैगंबर मुहम्मद और उनके उपेदेशों को पूरी तरह समर्पित होता है।