उन्होंने बताया कि हजरत मोहम्मद साहब दुनिया के लिए रहमत बनकर आए। उन्होंने इंसानियत का पैगाम दिया, जालिक के जुल्मों को रोकने और गरीबों, मजबूरों की मदद करने की तालीम दी। एक दूसरे का ख्याल रखना, एक दूसरे से मोहब्बत करना सिखाया। जनाब मुहम्मद अशरफ अशरफी जिलानी ने बताया कि हजरत मोहम्मद साहब की जिंदगी के बारे में सही से जान लेने वाला, उसने कभी दूर नहीं रहेगा। इस मौके पर हाजी अबरार अहमद अशरफी, साबिर अहमद अशरफी, वकील अहमद, चांद, नईम, शानू, जमाल, मजदू आदि मौजूद रहे।
जनाब मुहम्मद अशरफ अशरफी जिलानी ने बताया कि हजरत रसूल उल्लाह मोहम्मद सल्लाह औह-आलै वसल्लम को खुदा ने पैदा करके इंसानों की हिदायत के वास्ते जमीं पर भेजा, ताकि वह लोगों को उम्दा तालीम देकर उन्हें नेक इंसान बनाये। यह सिलसिला हजरते आदम से शुरू हुआ और लगभग 124000 नबी और रसूल तशरीफ लाये। उनमें सबसे आखिर में आज से साढ़े चौदह सौ साल पहले 20 अप्रैल 571 ईसवी मुताबिक आज के दिन (12 रबी-ए-उल-अव्वल) पीर के दिन सुबह अरब के मक्का शहर में हजरते आमना खातून के मुबारिक शिकम (पेट) से मोहम्मद साहब पैदा हुये।
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