टोरंट पावर कंपनी के अनुसार, भूमिगत केबिल बिछाते हुए ई-मीटर को टॉपअप बॉक्स से जोड़ा जाता है। एक बॉक्स से कुल 12 कनेक्शन किए जाते हैं। हर कनेक्शन के लिए ई-मीटर लगाए जा रहे हैं। ई मीटर स्मार्ट मीटर से बिलकुल अलग है। स्मार्ट मीटर में चिप होती है, जिससे छेड़छाड़ की आशंका होती है। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक मीटर के कंट्रोल रूम से जुड़ने के कारण कोई भी छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।
ई मीटर की खासियत है कि यूनिट रीडिंग के लिए उपभोक्ता के घर जाने की जरूरत नहीं होती है। इंटरनेट के जरिये कंट्रोल रूम से ही यह कनेक्ट होता है। फिडिंग के अनुसार, निर्धारित समय पर बिजली बिल जमा नहीं करने वाले उपभोक्ताओं की आपूर्ति ऑटोमेटिक बंद हो जाती है। इसमें अलार्म के साथ यूनिक आईडी और सिंगल व डबल फेस की सुविधा भी होती है।
यहां सफल रहा प्रयोग दरअसल, बिजली चोरी के मामले में मंटोला क्षेत्र रेड जोन में आता है। यहां कि करीब 100 गलियों में ई-मीटर लगाने का कार्य चल रहा है। यहां टोरंट पावर कंपनी यहां पहली बार घनी आबादी में लाइन लॉस के साथ बिजली चोरी रोकने के उद्देश्य से ई मीटर लगा रही है। एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह का कहना है कि मंटोला क्षेत्र की 100 गलियों में ई-मीटर लगाने का तेजी से काम चल रहा है। फिलहाल 40 गलियों में ई-मीटर लगाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले चरण में आजमपाड़ा में ई-मीटर लगाए गए थे। प्रयोग सफल होने के बाद अब इन्हें अन्य स्थानों पर भी लगाया जा रहा है।