इंजीनियर्स डे पर फतेहाबाद रोड स्थित होटल क्रिस्टल सरोवर में इशरे (इंडियन सोसायटी ऑफ हीटिंग रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर कंडीशनिंग इंजीनियर्स द्वारा आयोजित ऊर्जावरण (क्लाइमेट चेंज इमरजिंग सोल्यूशन) कार्यक्रम हुआ। बोनम अशोक ने बताया कि ऊजाला स्कीन के तहत अब तक 30 करोड़ 86 लाख एलईडी (घरों में लगे बल्बों को बदलवाकर) से 40 लाख मिलियन किलोवॉट ऊर्जा को बचाया जा रहा है। वहीं पंजाब एनर्जी डवलपमेंट एजेंसी के मनी खन्ना ने अपने व्याख्यान में बताया कि 28 जुलाई 2018 के बाद से निर्माण में ईसीबीसी (एनर्जी कंडरवेशन बिल्डिंग कोड) के नियमों का पालन (100 किलोवॉट से अधिक पॉवर की बिल्डिंग में) करना होगा। जिसमें ऊर्जा की खपत कम करने के लिए सोलर सिस्टम, एलईडी लाइट, फाइव स्टॉर एसी और ट्रांसफॉर्रमर आदि का होना जरूरी होगा। सरकार ग्रीन बिल्डिंग यानि ईको फ्रैंडली बिल्डिंग को भी प्रमोट कर रही है। वेस्ट टू एनर्जी पर व्याख्यान देते हुए ई. दिनकर सक्सेना आगरा शहर में इसके सफल होने के कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कचरे का विभाजन ठीक तरह से होने पर ही इस प्रोजेक्ट में सफलता मिल सकती है। संचालन इशरे के कोषाध्यक्ष सम्भव जैन व मौ. आरिफ ने किया। स्वागत इसरे के अध्यक्ष अनिल गोयल व धन्यवाद अजीत फौजदार ने किया।
इंजीनियर्स डे पर इनका हुआ सम्मान
सुबीर दास, डॉ. पियूष सिंघल, भुवेश अग्रवाल, केशो मेहरा, संजय गर्ग, मनीष अग्रवाल, केसी जैन, दीपक अग्रवाल, राजेश वर्मा, जेएस फौजदार। उद्योग नहीं होंगे तो प्रगति कैसे होगी
कार्यशाला में ड्राफ्ट विजन हॉक्यूमेंट ऑफ टीटीजेड आगरा पर केसी जैन व उमेश शर्मा में व्याख्यान देते हुए कहा कि उद्योगों को बंद करने करने व उनका विस्तार पर रोक लगाने के बजाय सरकार को उन विंदुओं पर गौर करना चाहिए जो वास्तव में प्रदूषण का कारण हैं। ट्रैफिक और उखड़ी सड़के, विद्युत शवदाह गृह का प्रयोग, यमुना में पर्याप्त पानी जैसी समस्याएं खत्म हो जाएं तो काफी हद कर प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकेगा। कचरे का जलाकर नष्ट किया जा रहा है। पूर्व विधायक केशो मेहरा ने बताया कि आगरा में प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 10 व पीएम 2.5 है। जिसका स्त्रोत उद्योग नहीं। यह बात नीरी की रिपोर्ट के साथ अन्य कई रिपोर्ट से स्पष्ट हो चुकी है। उद्योग नहीं लगेंगे तो देश की प्रगति कैसी होगी।
सुबीर दास, डॉ. पियूष सिंघल, भुवेश अग्रवाल, केशो मेहरा, संजय गर्ग, मनीष अग्रवाल, केसी जैन, दीपक अग्रवाल, राजेश वर्मा, जेएस फौजदार। उद्योग नहीं होंगे तो प्रगति कैसे होगी
कार्यशाला में ड्राफ्ट विजन हॉक्यूमेंट ऑफ टीटीजेड आगरा पर केसी जैन व उमेश शर्मा में व्याख्यान देते हुए कहा कि उद्योगों को बंद करने करने व उनका विस्तार पर रोक लगाने के बजाय सरकार को उन विंदुओं पर गौर करना चाहिए जो वास्तव में प्रदूषण का कारण हैं। ट्रैफिक और उखड़ी सड़के, विद्युत शवदाह गृह का प्रयोग, यमुना में पर्याप्त पानी जैसी समस्याएं खत्म हो जाएं तो काफी हद कर प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकेगा। कचरे का जलाकर नष्ट किया जा रहा है। पूर्व विधायक केशो मेहरा ने बताया कि आगरा में प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 10 व पीएम 2.5 है। जिसका स्त्रोत उद्योग नहीं। यह बात नीरी की रिपोर्ट के साथ अन्य कई रिपोर्ट से स्पष्ट हो चुकी है। उद्योग नहीं लगेंगे तो देश की प्रगति कैसी होगी।
बल्व नहीं एलईडी का करें प्रयोग
कार्यक्रम का शुभारम्भ डीवीवीएन के एमडी सुधीर कुमार वर्मा ने किया। इंजीनियर्स डे की बधाई देते हुए कहा कि कहा कि आज हमारे सामने पर्यावरण को स्वच्छ रखने के साथ हम खर्चे में अधिक ऊर्जा प्राप्त करने की चुनौती है। ऊर्जा के नए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। किसी जमाने में 60 वॉट का बल्ब जितनी रोशनी देता था और वह 9 वॉट की एलईडी दे रही है। इं. जेएस फौजदार ने कहा कि ऊर्जा के वरण के लिए जरूरी है कि उसका क्षरण न होने दिया जाए। संचालन अजीत फौजदार व उमेश शर्मा ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डीवीवीएनएल के कमर्शियल निदेशक डीके सिंह, इसरे के अध्यक्ष अनिल गोयल, सुवीर दास, प्रदीप दुआ, पूर्व विधायक केशो मेहरा, भुवेश अग्रवाल, संजय गर्ग, दीपक अग्रवाल, सुमित विभव आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ डीवीवीएन के एमडी सुधीर कुमार वर्मा ने किया। इंजीनियर्स डे की बधाई देते हुए कहा कि कहा कि आज हमारे सामने पर्यावरण को स्वच्छ रखने के साथ हम खर्चे में अधिक ऊर्जा प्राप्त करने की चुनौती है। ऊर्जा के नए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। किसी जमाने में 60 वॉट का बल्ब जितनी रोशनी देता था और वह 9 वॉट की एलईडी दे रही है। इं. जेएस फौजदार ने कहा कि ऊर्जा के वरण के लिए जरूरी है कि उसका क्षरण न होने दिया जाए। संचालन अजीत फौजदार व उमेश शर्मा ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डीवीवीएनएल के कमर्शियल निदेशक डीके सिंह, इसरे के अध्यक्ष अनिल गोयल, सुवीर दास, प्रदीप दुआ, पूर्व विधायक केशो मेहरा, भुवेश अग्रवाल, संजय गर्ग, दीपक अग्रवाल, सुमित विभव आदि मौजूद थे।