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कैंसर मरीजों के लिए वरदान है ये सर्जरी, 80 प्रतिशत कैंसर की हो सकती है रोकथाम

locationआगराPublished: May 13, 2018 06:27:45 pm

इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ सर्जन्स (इंडियन सेक्शन) की कार्यशाला में हुई चर्चा

doctor
आगरा। दूरबीन विधि के बाद रोबोटिक सर्जरी का युग शुरू हो गया है। इससे ऑपरेशन के बाद रिकवरी बहुत तेज होती है। साथ ही ब्लड लॉस नहीं होता है। कैंसर के केस में भी 90 फीसद ऑपरेशन दूरबीन विधि से संभव हैं। इसमें भी कुछ केस में रोबोटिक सर्जरी के रिजल्ट बहुत अच्छे हैं। रविवार को पुष्पांजलि हॉस्पिटल में इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ सर्जन्स (इंडियन सेक्शन), सोसायटी ऑफ एंडोस्कोपिक एंड लैप्रोस्कोपिक सर्जन्स ऑफ आगरा (सेल्सा) व एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ आगरा द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन दूरबीन और रोबोटिक सर्जरी पर चर्चा की गई।
दस फीसदी ही हो रहे आॅपरेशन
कार्यशाला में डॉ मनोज पांडे, बीएचयू ने कहा कि दूरबीन विधि से 90 फीसद कैंसर के ऑपरेशन संभव है। लेकिन, 10 फीसद ऑपरेशन ही हो रहे हैं। वहीं, 80 फीसद कैंसर को संतुलित खान पान और जीवनशैली में बदलाव कर रोका जा सकता है। प्री कैंसर स्टेज में पता चलने पर दूरबीन विधि से ऑपरेशन के बाद कैंसर खत्म हो जाता है लेकिन अधिकांश केस में मरीज तीसरी और चौथी स्टेज पर आता है। इसमें भी चौथी स्टेज पर लिवर, फेफड़े और स्तन कैंसर में ही मरीज कुछ महीने ही जिंदा रह सकता है, अन्य कैंसर में ऑपरेशन के बाद कीमोथैरेपी से मरीज बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। अभी भी भारत में गुर्दे, पेशाब की थैली सहित प्रोस्टेट कैंसर के 90 फीसद केस ही दूरबीन विधि से किए जा रहे हैं। वहीं पेट में किसी भी प्रकार के कैंसर में वह प्रतिशत बहुत कम है। एम्स के साथ ही दिल्ली के निजी अस्पतालों में रोबोटिक सर्जरी की जा रही हैं। सुनार और लुहार में जो फर्क होता है, वही फर्क रोबोटिक और सामान्य सर्जरी में है। रोबोटिक सर्जरी से डॉक्टर अच्छे रिजल्ट दे सकता है और आने वाला समय दूरबीन के बाद रोबोटिक सर्जरी का ही है। डॉ. हिमांग ने बताया कि हर्निया के लिए नई तकनीकी तार का इस्तेमाल किया जा रहा है, इससे संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।
सर्जरी वर्कशॉप का हुआ लाइव टेलीकास्ट
कार्यशाला में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. यूएस धालीवाल, कार्यशाला के चेयरपर्सन डॉ. एसडी मौर्या, एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा, डॉ. सेंथिल कुमार डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. एचएल राजपूत, डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. अमित श्रीवास्तव, डॉ. समीर कुमार, डॉ. अपूर्व चतुर्वेदी, डॉ. भूपेन्द्र प्रसाद, डॉ. डीपी सिंह, डॉ. अंकुर बंसल, डॉ. अनुभव गोयल, डॉ. उत्कर्ष, डॉ. संदीप गुप्ता आदि मौजूद थे। दिल्ली मैक्स हॉस्पीटल से बेरिएट्रिक सर्जरी के लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन का भी लाइव टेलीकास्ट कांफ्रेंस हॉल में किया गया।
डॉ. अमित व डॉ. समीर को किया गया पुरस्कृत
आयोजन समिति के सचिव डॉ. अमित श्रीवास्तव व डॉ. समीर कुमार को इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ सर्जन्स (इंडियन सेक्शन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. यूएस धालीवाल ने स्पेशल अवार्ड से सम्मानित किया गया। एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव सेंथिल कुमार ने कहा कि हमारा प्रयास लैप्रोस्कोपिक की तकनीक की सुविधा को हर व्यक्ति तक पहुंचाना है। इसके लिए 70 देश मिलकर एक साथ काम कर रहे हैं।
मास्टर विडियो से नई तकनीकों के लिए विशेषज्ञों को अपडेट
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में मास्टर वीडियो के जरिए भी विशेषज्ञों ने नी पीढ़ी को नई तकनीकों के लिए अपडेट किए। एम्स दिल्ली के डॉ. हिमांग भट्टाचारजी ने हर्नियां के इलाज में नई तकनीक टार (टीएआर) के विषय में विस्तार से बताया। चैन्नई एमएससी के डॉ. सेंथिल कुमार ने कॉर्टेक्स स्पेरिंग एडरनलेक्टोमी बाई ओपन एप्रोच, एमएएमसी दिल्ली के प्रो. पवनिंदर लाल ने लैप्रोस्कोपिक फंडोप्लीकेशन के बारे में मीस्टर वीडियों के जरिए जानकारी दी।
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