प्रियंका कक्षा 10 में पढ़ रही हैं। उसने 2013 से पहलवानी सिखना शुरू किया है। उसे पहलवानी करते हुए अभी चार साल हुए हैं, लेकिन इन चार सालों में इस बेटी ने अपना और अपने परिवार का बहुत नाम किया है। उसने कई बार प्रदेश लेवल पर कई प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की है, जिसमें राज्य लेवल के 6 व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सिल्वर मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। मंगलवार को उसने महाराष्ट्र में हुई सब जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लिया। जिसमें उसने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जीत के बाद उसे ब्रांज मेडल देकर पुरस्कृत किया गया। उसने बताया कि इससे पहले वह आॅल इंडिण्या साइन प्रतियोगिता मेें प्रथम आ चुकी है। प्रियंका से उसके आगे के सपने के बारे मेें पूछा तो उसने बड़े ही खुश होकर बताया कि वह देश के लिए ओलम्पिक खेलना और उसे जीतना चाहती है। उसने कहा कि ये बहुत कठिन है, लेकिन रात और दिन मेहनत कर एक दिन जरूर इस कामयाबी को हासिल करूंगी।
पिता ने कहा ग्रामीणों ने थी की आलोचना
प्रियंका के पिता महेन्द्र सिंह ने बताया है कि उन्होंने जब उसे पहलवानी के भेजा था। तो ग्रामीणों ने इसकी बहुत आलोचना की थी, लेकिन पिता ने बेटी के भविष्य के लिए ग्रामीणों की सब बातों को अनसुना कर बेटी के कदम से कदम मिलाया। महेन्द्र सिंह ने बताया है कि वह बहुत गरीब है। खेती करके और दूध बेचकर वह अपने परिवार का भरण पोषण करता है। पिता ने बताया है कि उनके पास में सात पुत्री और दो पुत्र हैं, जिसमें प्रियंका चौथे नम्बर की है। उन्होंने बताया कि उनकी दो पुत्री शादी के योग्य हो चुकी हैं, लेकिन पैसा न होने की वजह से हम अभी उनकी शादी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब उनकी और उनके सारे परिवार की उम्मीद केवल प्रियंका पर ही निर्भर है।