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किसान कल्याण रैली से पूर्व किसानों के ‘मन की बात’ सुनिए प्रधानमंत्री जी

locationआगराPublished: Jul 18, 2018 06:43:04 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

किसानों ने अपने मन की बात पत्रिका के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंचाई है।

Narendra Modi

नरेन्द्र मोदी

आगरा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 जुलाई को शाहजहांपुर में किसान कल्याण रैली करने जा रहे हैं। इस मौके पर पत्रिका ने कुछ किसानों से बातचीत की। उनकी समस्याएं जानीं। आगरा में आलू, गेहूं, धान (फतेहपुर सीकरी क्षेत्र), बाजरा और सरसों की फसल मुख्य हैं। बाजरा और सरसों में तो स्थित ठीक कही जा सकती है, लेकिन अन्य फसल करने वाले किसान परेशान हैं। आगरा में भी तक आलू प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगी है, जिससे आलू किसान दुखी है। किसानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुहार लगाई है।
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आलू और समर्थन मूल्य

एक बीघा में आलू पर 19,650 रुपये की लागत आती है। प्रति कुंतल 982 रुपये 50 पैसे की लागत बैठती है। उत्पादन एक बीघा में 35-40 कट्टा (प्रति कट्टा 50 किलोग्राम) निकलता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आलू का समर्थन मूल्य 549 रुपये प्रति कुंतल घोषित किया है, जबकि लागत 982 रुपये से अधिक है। खरीफ की फसल में लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। आलू का भी लागत का डेढ़ गुना घोषित हो, तब किसान को लाभ हो सकता है।
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गेहूं

गेहूं की लागत 15 हजार रुपये प्रति पक्का बीघा आती है। उत्पादन एक बीघा में 12 कुंतल के आसपास। भूसा भी 12 कुंतल होता है। 400 रुपये कुंतल भूसा बिकता है। समर्थन मूल्य 1735 रुपये है। लागत निकल रही है, लेकिन डेढ़ गुना फायदा नहीं है।
धान

एक बीघा पक्का में धान पर 18 हजार रुपये लागत आती है। उत्पादन लगभग 12 कुंतल होता है। समर्थन मूल्य 1750 और 1770 रुपये प्रति कुंतल है। यहां का किसान बासमती धान करता है और सरकार मोटा धान खरीदती है। इस कारण किसान को मंडी में समर्थन मूल्य से कम पर धान बेचना पड़ता है।
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बाजरा

खरीफ की फसल बाजरा पर दो हजार रुपये प्रति बीघा आती है। एक बीघा में करीब चार कुंतल उत्पादन होता है। 900-1000 रुपये प्रति कुंतल मूल्य मिलता है।
सरसों

सरसों पर एक बीघा में 6000 रुपये लागत आती है। उत्पादन चार कुंतल प्रति बाघा होता है। बाजार दर 3500-4000 रुपये प्रति कुंतल है।

बिना ब्याज के मिले कृषि ऋण

कृषि ऋण की समस्या है। चुनावी वर्ष में ऋण माफी का लालच रहता है। देरी होने पर ब्याज तो देना ही होता है। बिना ब्याज के कृषि ऋण मिले। कृषि ऋण माफ करना है तो घोषणा अभी कर दी जाए।
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फतेहपुर सीकरी के गांवों की समस्या

आगरा में 50 फीसदी क्षेत्र ऐसा है, जिसमें जलस्तर 500 फीट तक नीचे चला गया है। जैसे फतेहपुर सीकरी के गांव सामरा, सिरौली, दाउदपुर, डाबर, खेड़ा जाट। इन गांवों तक नहर की सुविधा भी नहीं है। यहां सिंचाई के लिए पानी कहां से लाएं? वर्षा के भरोसे हैं। कुछ नलकूप गहराई में हैं, उनसे थोड़ा सा पानी मिल जाता है।
बिजली

आगरा के किसानों को बिजली अन्य जिलों से मंहगी मिलती है। किसानों को 10-12 घंटे ही बिजली मिलती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि टीटीजेड (ताज संरक्षित क्षेत्र) में 24 घंटे मिले बिजली दी जाए। बिल तो टीटीजेड के अनुसार लिया जा रहा है, लेकिन बिजली नहीं दी जा रही है।
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कृषि उपकरणों पर न लगे जीएसटी

कृषि उपकरण, खाद, बीज के दाम पिछले तीन साल में तीन से चार गुना बढ़ गए हैं। इसलिए लागत बढ़ गई है। कृषि उपकरण जीएसटी के दायरे में आते हैं। इन्हें जीएसटी से मुक्त किया जाए।
आलू प्रोसेसिंग यूनिट

भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष मोहन सिंह चाहर का कहना है कि आलू हर साल सस्ता बिकता है। आलू की स्थानीय स्तर पर खपत नहीं है। प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाए। आगरा में आलू निर्यात जोन बने। केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में यह घोषणा की थी। विधानसभा चुनाव 2016 में भी घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक जमीन पर कुछ नहीं है।
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(आगरा के गांव धिमश्री के लक्ष्मण सिंह, फतेहपुर सीकरी के गांव खेड़ा जाट निवासी कमल चौधरी, किरावली के गांव बसेरी चाहर निवासी चंदन सिंह, खंदौली के गांव कंजौली निवासी मुख्तार सिंह, खंदौली के गांव सौरई निवासी रविकरन, पिनाट के गांव चचिया निवासी गिरीश शर्मा से बातचीत पर आधारित)
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