चम्बल के इलाके में दर्जनों गांवों के सम्पर्क मार्ग जलमग्न हो गये हैं। तहसील मुख्यालय बाह से इन गांवों का सम्पर्क टूट गया है। बाढ़ के बढ़ते खतरे को देखते हुए ग्रामीणों ने घर खाली करना शुरू कर दिये हैं। जो लोग अभी गांवों में रुके हुए हैं, उन्हें प्रशासन की ओर से बाढ़ के खतरे के चलते सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा गया है।
चंम्बल नदी के किनारे बसे गांव गुढ़ा, गोहरा, कछियारा उमरैठा पुरा, रेहा, रानी पुरा, भटपुरा सहित एक दर्जन गांव बुरी तरह प्रभावित हैं। इन गांवों में बसे ग्रामीणों को निकालने के लिए मोटर बोट की व्यवस्था की गई है।
चम्बल नदी में यह उफान करीब पांचवीं बार आया है। आगरा प्रशासन ने इस क्षेत्र में पहले से ही बाढ़ चौकियां बनाई हुई हैं। बाढ़ चौकियों की मदद से प्रशासन निगरानी कर रहा है। ग्रामीणों को जरूरी सामान के साथ सुरक्षित स्थान पर भेजा जा रहा है। पशुओं के लिए सुरक्षित स्थान मुहैया कराना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है।
राजस्थान कोटा बैराज से छः लाख तीन हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से चम्बल खतरे के निशान पर आ गई है। ग्रामीणों की मानें तो सन 1996 में चम्बल नदी में भयंकर बाढ आयी थी, जिसने काफी बड़े पैमाने पर जनजीवन अस्त-व्यस्त किया था। फिलहाल पिनाहट घाट पर बने पम्प हाउस के गेट को ईंट से बंद करने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। वहीं बाढ़ से निपटने के लिए अधिकारी जुट गए हैं।