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Flood Alert: आगरा, मथुरा, कासगंज में नदियों में उफान, ताजनगरी में यमुना आज पार कर सकती है खतरे का निशान

locationआगराPublished: Aug 22, 2019 10:37:59 am

Submitted by:

suchita mishra

— आगरा में खतरे के निशान से सिर्फ चार फुट दूर है यमुना — मथुरा में यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण केशीघाट की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं। — कासगंज में गंगा नदी ने खेतों को अपने आगोश में ले लिया।

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आगरा। पहाड़ी इलाकों में बारिश का कहर और बादल फटने की घटनाओं का असर अब ब्रज क्षेत्र में भी दिखने लगा है। यहां गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। दोनों नदियां उफान पर हैं। इसके चलते आगरा, मथुरा और कासगंज में बाढ़ की आशंका काफी बढ़ गई है।
आगरा में खतरे का निशान आज पार कर सकती है यमुना

बात अगर आगरा की करें तो यहां यमुना नदी में 24 घंटों में जलस्तर पांच फुट से अधिक बढ़ गया है। अगर यही हाल रहा तो गुरुवार शाम तक यमुना नदी खतरे के निशान 495 फुट को पार कर सकती है। वहीं मथुरा में भी बुधवार को यमुना में जलस्तर तेजी से बढ़ता दिखायी दिया। इसके कारण वृंदावन में केशीघाट की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं। वहीं कासगंज में भी गंगा खतरे के निशान के पास पहुंच चुकी है। इसके कारण गंगा ने आसपास के खेतों को अपने आगोश में ले लिया है।
घबराए किसान

बाढ़ की आशंकाओं को देखकर लोग घबराने लगे हैं। किसानों को फसलों के बर्बाद होने की चिंता सता रही है। वहीं नदियों के किनारे बसे गांवों के लोग अपना सामान दूसरी जगहों पर शिफ्ट करने लगे हैं। आगरा में लगातार यमुना का जलस्तर बढ़ते देख कई इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। मदद के लिए आठ स्थानों पर बाढ़ चौकियां बनायी गई हैं। प्रत्येक चौकी पर 13 कर्मचारियों की ड्यूटी निर्धारित की गई है। जो शिफ्ट के हिसाब से यमुना पर अपनी नजर बनाए हुए हैं।
गोताखोर और नाव की गईं तैयार
एसडीएम सदर अभिषेक कुमार के मुताबिक यमुना में लगातार जलस्तर बढ़ते हुए देख गोताखोरों की टीम और नाव की व्यवस्था कर दी गई है। चौकी पर तैनात अधिकारियों के निर्देश पर वे मौके पर पहुंच जाएंगे।
जलस्तर 520 पहुंचने पर डूब सकता है आगरा
सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार आगरा में यमुना नदी में खतरे का निशान 495 पर है। 499 पहुंचने पर डूब क्षेत्र में यमुना का पानी पहुंचने लगता है। वर्ष 1978 में जलस्तर 508 पहुंचने पर बेलनगंज में पानी पहुंच गया था। वहीं 520 पहुंचने पर पूरा शहर बाढ़ की चपेट में आ सकता है। बता दें कि आगरा में वर्ष 2010 में बाढ आ चुकी है।
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