ये है मामला
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में तीन थानेदारों को शातिरों ने अपना निशाना बनाया। सबसे पहले सैफई थाना प्रभारी चंद्रदेव यादव के सीयूजी नंबर पर कॉल की। कॉल करने वाले ने खुद को क्राइम ब्रांच आगरा का सब इंस्पेक्टर अरुण कुमार शर्मा बताया। कहा कि तुम्हारे क्षेत्र में तीन चोरी की गाडिय़ां हैं। कप्तान साहब बात करेंगे। उसने दूसरे शातिर को फोन दे दिया। दूसरे व्यक्ति ने एसएसपी आगरा अमित पाठक बनकर बात की। उसने पहले पूछा कि तुम्हारे एसएसपी कौन हैं? उनका सीयूजी नंबर बताओ। इसके बाद कहा कि आप चोरी की गाड़ी पकड़ लेंगे या मैं अपनी टीम भेजूं? मुखबिर आपके क्षेत्र का ही है। वह गाडिय़ों को पकड़वा देगा। इसके बाद कथित मुखबिर का नंबर दे दिया।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में तीन थानेदारों को शातिरों ने अपना निशाना बनाया। सबसे पहले सैफई थाना प्रभारी चंद्रदेव यादव के सीयूजी नंबर पर कॉल की। कॉल करने वाले ने खुद को क्राइम ब्रांच आगरा का सब इंस्पेक्टर अरुण कुमार शर्मा बताया। कहा कि तुम्हारे क्षेत्र में तीन चोरी की गाडिय़ां हैं। कप्तान साहब बात करेंगे। उसने दूसरे शातिर को फोन दे दिया। दूसरे व्यक्ति ने एसएसपी आगरा अमित पाठक बनकर बात की। उसने पहले पूछा कि तुम्हारे एसएसपी कौन हैं? उनका सीयूजी नंबर बताओ। इसके बाद कहा कि आप चोरी की गाड़ी पकड़ लेंगे या मैं अपनी टीम भेजूं? मुखबिर आपके क्षेत्र का ही है। वह गाडिय़ों को पकड़वा देगा। इसके बाद कथित मुखबिर का नंबर दे दिया।
पांच हजार की ठगी का हुआ शिकार
सैफई थाना प्रभारी ने दिए गए नंबर पर बात की, तो उसने कहा कि वह होटल में मिलने आ रहा है, पहले उसके खाते में पांच हजार रुपये डाल दीजिए। गुडवर्क के झांसे में आकर इंस्पेक्टर ने मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से अपने खाते से उसके बताए पीएनबी के खाते में पांच हजार रुपये जमा करा दिए। इसके बाद शातिरों का कोई पता नहीं चला। इसी अदांज में शातिरों ने थाना प्रभारी बड़पुरा और थाना प्रभारी ऊसराहार को कॉल किया, लेकिन एसओ बड़पुरा जितेंद्र सिंह को शक हो गया। उन्होंने एसएसपी आगरा से कॉल कर पूछा तो हकीकत सामने आ गई। थाना प्रभारी ऊसराहार भी ठगी से बच गए।
सैफई थाना प्रभारी ने दिए गए नंबर पर बात की, तो उसने कहा कि वह होटल में मिलने आ रहा है, पहले उसके खाते में पांच हजार रुपये डाल दीजिए। गुडवर्क के झांसे में आकर इंस्पेक्टर ने मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से अपने खाते से उसके बताए पीएनबी के खाते में पांच हजार रुपये जमा करा दिए। इसके बाद शातिरों का कोई पता नहीं चला। इसी अदांज में शातिरों ने थाना प्रभारी बड़पुरा और थाना प्रभारी ऊसराहार को कॉल किया, लेकिन एसओ बड़पुरा जितेंद्र सिंह को शक हो गया। उन्होंने एसएसपी आगरा से कॉल कर पूछा तो हकीकत सामने आ गई। थाना प्रभारी ऊसराहार भी ठगी से बच गए।