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ये नजारा आपको देखने के लिए मिलेगा किनारी बाजार, नमक की मंडी, फाटक सूरजभान में, जो आगरा का सबसे बड़ा सराफा बाजार है। यहां सोना (Gold) चांदी (Silver) के आभूषणों का थोक का काम होता है। आभूषणों की बनाई और घिसाई के दौरान सोने व चांदी के छोटे-छोटे कण निकलते हैं। साफ-सफाई में यह कण नाली में गिर जाते हैं। ऐसे में इन कणों को निकालने के लिए सुबह-सुबह सफाई करने वाले लोगों की भीड़ लग जाती है।
ये नजारा आपको देखने के लिए मिलेगा किनारी बाजार, नमक की मंडी, फाटक सूरजभान में, जो आगरा का सबसे बड़ा सराफा बाजार है। यहां सोना (Gold) चांदी (Silver) के आभूषणों का थोक का काम होता है। आभूषणों की बनाई और घिसाई के दौरान सोने व चांदी के छोटे-छोटे कण निकलते हैं। साफ-सफाई में यह कण नाली में गिर जाते हैं। ऐसे में इन कणों को निकालने के लिए सुबह-सुबह सफाई करने वाले लोगों की भीड़ लग जाती है।
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इन तीनों ही बाजारों में सुबह के समय इनकी तलाश की जाती है। ब्रश, झाडू, चलनी और पारात लेकर लोग इन कणों की तलाश करते हैं। कुछ नालियों पर जमे बैठे होते हैं, तो कुछ सड़कों की ब्रश से सफाई करते हुए इन कणों की तलाश करते हैं। इन कणों को आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है। गंदे पानी और कीचड़ के बीच में सोने-चांदी के छोटे-छोटे कणों को एकत्र करने के बाद इन्हें बारीक छलनी की सहायता से धो लिया जाता है, जिसके बाद इनकी पहचान करना बेहद आसान हो जाता है।
इन तीनों ही बाजारों में सुबह के समय इनकी तलाश की जाती है। ब्रश, झाडू, चलनी और पारात लेकर लोग इन कणों की तलाश करते हैं। कुछ नालियों पर जमे बैठे होते हैं, तो कुछ सड़कों की ब्रश से सफाई करते हुए इन कणों की तलाश करते हैं। इन कणों को आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है। गंदे पानी और कीचड़ के बीच में सोने-चांदी के छोटे-छोटे कणों को एकत्र करने के बाद इन्हें बारीक छलनी की सहायता से धो लिया जाता है, जिसके बाद इनकी पहचान करना बेहद आसान हो जाता है।
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सराफा बाजार की इन गलियों में सुबह 6 बजे पहुंची पत्रिका टीम ने इन लोगों से बात की। यहां सड़क की सफाई करने वाले आसिम ने बताया कि मेहनत लगती है, ऐसे ही सोना नहीं मिल जाता है। साबिर ने कहा कि रोज हजार रुपये की कमाई आसानी से हो जाती है, कभी कभी दो सौ के पास ही कमाई सिमट कर रह जाती है। अरमान ने बताया कि ये काम बेहद कठिन है, लेकिन अब तो आदत हो चुकी है।
सराफा बाजार की इन गलियों में सुबह 6 बजे पहुंची पत्रिका टीम ने इन लोगों से बात की। यहां सड़क की सफाई करने वाले आसिम ने बताया कि मेहनत लगती है, ऐसे ही सोना नहीं मिल जाता है। साबिर ने कहा कि रोज हजार रुपये की कमाई आसानी से हो जाती है, कभी कभी दो सौ के पास ही कमाई सिमट कर रह जाती है। अरमान ने बताया कि ये काम बेहद कठिन है, लेकिन अब तो आदत हो चुकी है।
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