आगरा

जीएसटी और नोटबंदी पुरानी बातें नहीं, चुनाव में आईना दिखाएंगे व्यापारी

नोटबंदी से बंद हो गए कारखाने

आगराNov 18, 2017 / 02:00 pm

अभिषेक सक्सेना

nagar nigam election

आगरा। नगर निकाय चुनाव में जीएसटी और नोटबंदी को पुरानी बात मानकर चला जा रहा था। व्यापारियों के बीच सत्तारूढ़ दलों के नेताओं ने नगर निकाय चुनाव में इसके सरोकार को सिरे से खारिज किया था। नेताओं का मानना था कि नगर निकाय चुनाव में ये बातें मायने नहीं रखती हैं। पत्रिका ने इस बार नगर निकाय चुनाव में व्यापारियों से उनका रुख जानना चाहा कि नोटबंदी और जीएसटी के चलते उनके कारोबार पर फर्क पड़ता है या फिर निकाय चुनाव से इस बात का कोई सरोकार नहीं है। कारोबारियों ने कहा कि नोटबंदी को एक साल हो चुका है, लेकिन, अभी तक कारोबार पटरी तक नहीं पहुंचा है।
नोटबंदी से बंद हो गए कारखाने
आगरा में जूता कारोबारी अशरफ अली का कहना है कि पिछले साल आठ नवंबर को जो दर्द भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारोबारियों और जनता को दिया, उसके जख्म आज भी ताजा है। जूता कारोबार पूरी तरह से बंद हो चुका है और कारीगर खाली है। जूता कारीगर जो दिन भर में तीन सौ रुपये की दिहाड़ी करता था, उसकी रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया। नोटबंदी के कुछ दिनों बाद ही जीएसटी लागू कर दिया गया। जिसके चलते कारखाने बंद करने की नौबत आ गई।
जीएसटी से बंद हो गया उधारी का कारोबार
सिकंदरा क्षेत्र में दुकान चलाने वाले राहुल अग्रवाल का कहना है कि नोटबंदी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन और भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात की थी। लेकिन, यहां तो कारोबार भी खत्म होने की कगार पर है। दुकानदारों को उधारी का सामान नहीं मिल रहा है। बड़े दुकानदारों ने उधार सामान देने से मना कर दिया है। कैशलेस की जगह लेसकैश का माहौल हो गया है। उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव में बात यदि वोट डालने की होगी, तो भाजपा को इसबार आईना जरूर दिखाया जाएगा।

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