कुछ ही जेर में भारी संख्या में पुलिस बल कब्रिस्तान पहुंच गया। थाना प्रभारी ने आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने को कहा। शेरवानी बिना मुकदमा दर्ज कराए वापस लौट आए। शेरवानी ने बताया कि उनकी तहरीर पर अनेक बार मुकदमे दर्ज हुए हैं। न कभी किसी भी मामले में आज तक गिरफ्तारी या चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। शेरवानी सरकार की दोहरी नीति के शिकार हैं। सरकार ने जहां एक ओर वन्दे मातरम को राष्ट्रीय गीत घोषित कर रखा है वहीं सरकार वंदे मातरम का विरोध करने वालों के विरुद्ध न तो कार्रवाई कर पा रही है न ही समर्थन करने वालों के मान सम्मान को बचा पा रही है।
राष्ट्रगीत वंदे मातरम का विरोध करने वाले दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी सहित देश के दस बड़े मौलानाओं पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने की मांग करते हुए शेरवानी ने दीवानी चौराहा स्थित भारत माता की प्रतिमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी।इसके चलते शेरवानी को उनके पिता ने परिवार से बेदखल कर दिया था। मुस्लिम समाज ने काफिर करार दे दिया। उनकी शादी भी टूट गई थी। शेरवानी ने 14 अगस्त, 2000 को शपथ ली थी कि जब तक मौलानाओं पर राष्ट्र दो का मुकदमा कायम नहीं हो जाता वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। आज बारह साल बाद भी गुलचमन शेरवानी ने अन्न ग्रहण नहीं किया। पिछले दिनों शेरवानी ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन पर तिरंगे के साये में अपना निकाह किया था। इसका मुस्लिम समाज ने विरोध किया था। विरोध के चलते प्रशासन को शादी में चप्पे चप्पे पर पुलिस, पीएसी तथा आरएएफ तैनात करनी पड़ी थी।