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आगरा

कब्रिस्तान में मोबाइल पर बजी ऐसी रिंग टोन कि युवकों ने कर दी पिटाई, देखें वीडियो

गुलचमन शेरवानी पर अबतक 39 बार हमला हो चुका है, वीडियो जारी दुख-दर्द बयां किया

आगराDec 20, 2018 / 10:06 am

suchita mishra

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आगरा। आजमपाड़ा, शाहगंज निवासी गुलचमन शेरवानी को मुस्लिमों ने फिर निशाना बनाया। कारण वही है वंदेमातरम और तिरंगा से प्रेम। इसी प्रेम के कारण इस बार कब्रिस्तान में निशाना बनाया गया। पुलिस ने उन्हें मुक्त कराया। वंदेमातरम से प्रेम हर बार भारी पड़ जाता है। इस बार तो उसने इस घटना की पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराई है। गुलचमन का कहना है कि कई बार रिपोर्ट दर्ज करा ली, होता कुछ नहीं है। गुलचमन ने वीडियो जारी कर अपना दुख-दर्द बयां किया है।
तिरंगा टीशर्ट पहनकर गए थे

गुलचमन शेरवानी अपने पड़ोसी गनी अब्बास के जनाजा सुपुर्दे खाक में गुरुवार को पचकुइयाँ स्थित कब्रिस्तान गए थे। वे तिरंगा टी शर्ट पहने हुए थे। इसी दौरान नाई की मंडी क्षेत्र से एक और जनाजा आया हुआ था। कब्रिस्तान में प्रवेश करते ही गुचमन शेरवानी के मोबाइल में वंदे मातरम की रिंग टोन बजने लगी। जिसे सुनकर मुस्लिम युवक क्रोधित हो गए। उन्होंने शेरवानी को पकड़कर गाली गलौज करते हुए मारपीट करना शुरू कर दिया। उनकी टी शर्ट उतरवाकर जमीन पर पटक कर पैर रखकर खड़े हो गए। इसका विरोध करने पर युवकों ने जान से मारने की धमकी देते हुए कान पकडकर तौबा करने तथा भविष्य में वंदे मातरम जुबान पर न लाने को कहा। शेरवानी द्वारा इनकार करने पर युवकों ने उन्हें बुरी तरह पीटा। मौके पर पहुंची डायल हंड्रेड पुलिस ने शेरवानी को युवकों से मुक्त करा कर जान बचाई।
नहीं कराई रिपोर्ट दर्ज
कुछ ही जेर में भारी संख्या में पुलिस बल कब्रिस्तान पहुंच गया। थाना प्रभारी ने आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने को कहा। शेरवानी बिना मुकदमा दर्ज कराए वापस लौट आए। शेरवानी ने बताया कि उनकी तहरीर पर अनेक बार मुकदमे दर्ज हुए हैं। न कभी किसी भी मामले में आज तक गिरफ्तारी या चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। शेरवानी सरकार की दोहरी नीति के शिकार हैं। सरकार ने जहां एक ओर वन्दे मातरम को राष्ट्रीय गीत घोषित कर रखा है वहीं सरकार वंदे मातरम का विरोध करने वालों के विरुद्ध न तो कार्रवाई कर पा रही है न ही समर्थन करने वालों के मान सम्मान को बचा पा रही है।
2000 से अन्न ग्रहण नहीं किया
राष्ट्रगीत वंदे मातरम का विरोध करने वाले दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी सहित देश के दस बड़े मौलानाओं पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने की मांग करते हुए शेरवानी ने दीवानी चौराहा स्थित भारत माता की प्रतिमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी।इसके चलते शेरवानी को उनके पिता ने परिवार से बेदखल कर दिया था। मुस्लिम समाज ने काफिर करार दे दिया। उनकी शादी भी टूट गई थी। शेरवानी ने 14 अगस्त, 2000 को शपथ ली थी कि जब तक मौलानाओं पर राष्ट्र दो का मुकदमा कायम नहीं हो जाता वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। आज बारह साल बाद भी गुलचमन शेरवानी ने अन्न ग्रहण नहीं किया। पिछले दिनों शेरवानी ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन पर तिरंगे के साये में अपना निकाह किया था। इसका मुस्लिम समाज ने विरोध किया था। विरोध के चलते प्रशासन को शादी में चप्पे चप्पे पर पुलिस, पीएसी तथा आरएएफ तैनात करनी पड़ी थी।
39 बार हमला

वंदे मातरम का समर्थन तथा तिरंगा प्रेम के चलते गुलशन शेरवानी पर अब तक 39 बार हमले हो चुके हैं। कई मामलों में रिपोर्ट तो दर्ज हुई है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके चलते शेरवानी अपने साथ होने वाली मारपीट की जानकारी तक पुलिस को नहीं देते हैं। उन्हें शासन व प्रशासन से न्याय की उम्मीद नहीं है।

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