scriptआज से ही कर लें ये काम, नहीं तो जिन्दगी भर का रोना हो जाएगा | How to avoid Neuro trauma workshop in agra for public latest news | Patrika News

आज से ही कर लें ये काम, नहीं तो जिन्दगी भर का रोना हो जाएगा

locationआगराPublished: Aug 22, 2019 07:38:18 pm

-मस्तिष्क आघात से बचाएं, हेलमेट पहनकर ही दुपहिया चलाएं-सिर में चोट लगने पर पूरी जिन्दगी समस्या रहती है-Neuro trauma के प्रति शहर के नागरिकों को जागरूक किया

आज से ही कर लें ये काम, नहीं तो जिन्दगी भर का रोना हो जाएगा

आज से ही कर लें ये काम, नहीं तो जिन्दगी भर का रोना हो जाएगा

आगरा। न्यूरोट्रॉमा सोसायटी ऑफ इंडिया और न्यूरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एनटीएसआई NTSI) के तत्वावधान में न्यूरोलॉजिकल सोसायटी आगरा (Agra) के सहयोग से ‘न्यूरोट्रॉमा से बचाव‘ संबंधी जागरूकता के लिए कार्यशाला होटल होली-डे इन में आयोजित की गई। इसमें अभिभावकों को चेतावनी दी गई कि वे अपने लाड़लों को बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन न चलाने दें। सिर (Head) में एक बार चोट लगती है तो जिन्दगी भर का रोना हो जाता है। कार चला रहे हैं तो सीट बेल्ट लगाएं। आज से ही बचाव की ओर ध्यान दें। हम नहीं चाहते हैं कि किसी को न्यूरो ट्रॉमा (Neuro trauma ) हो।
ये हुए शामिल
विशेषज्ञों ने मस्तिष्क आघात और इससे बचाव से जुड़े तमाम पहलुओं को समझाने का प्रयास किया। आम शहरवासियों को यह अवसर प्रदान किया कि वे वार्तालाप के जरिए अपनी जिज्ञासाओं को शांत करें। गोष्ठी एवं कार्यशाला में चिकित्सकों एवं गणमान्य नागरिकों के अतिरिक्त शहर भर के तमाम सामाजिक संगठन, विद्यालय के छात्र, शिक्षक आदि शामिल हुए। बाइक सवारों की सुरक्षा पूरी तरह हेलमेट पर निर्भर है। वहीं यातायात के अन्य नियमों का पालन कर हादसों को रोका जा सकता है। यह कहना है उन विशेषज्ञों का जो आए दिन सड़क दुर्घटनाओं के दुःखद मामलों से रूबरू होते हैं।
यह भी पढ़ें – आगरा में जुटेंगे 300 से अधिक न्यूरो विशेषज्ञ, इस अहम विषय पर करेंगे मंथन

ऐसे बचाएं जान
वरिष्ठ न्यूरोसर्जन एवं आयोजन सह-अध्यक्ष डा. आरसी मिश्रा ने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इसकी चपेट में आने वाले 80 फीसद लोग 20-40 आयु वर्ग के हैं। दोपहिया वाहन चलाते हुए दुर्घटना की चपेट में आने वाले सैकड़ों युवा हर साल सिर की गंभीर चोटों से जान से हाथ धो बैठते हैं। इन्हें सिर की गंभीर चोटों से केवल हेलमेट ही बचा सकता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि पैदल चलने वाले सबसे ज्यादा चोटिल होते हैं। उन्होंने पाॅवर प्रिजेंटेशन के जरिए लोगों को आसान से समझाया कि सड़क दुर्घटनाओं, हेलमेट और सीट बेल्ट पहनने से कैसे सड़क दुर्घटनाओं से जानें बचाई जा सकती हैं।
सिर की चोट बचा सकते हैं
न्यूरोट्राॅमा सोसायटी आॅफ इंडिया के सचिव डा. सुमित सिन्हा ने बताया कि हर साल करीब 1.50 लाख लोग सड़क हादसे का शिकार होकर जान गंवाते हैं। जबकि करीब चार से पांच लाख लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं। सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि इनमें 70 फीसद लोग ऐसे होते हैं जो हेल्मेट नहीं पहनने और कार की सीट बेल्ट नहीं लगाने की वजह से जान गंवाते हैं। 90 फीसदी सिर की गंभीर चोट को हेल्मेट पहनकर रोका जा सकता है।
अच्छा हेलमेट नहीं खरीदते
आयोजन अध्यक्ष प्रो. वीएस मेहता ने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि वे 70 हजार के दो पहिया वाहन आसानी से खरीद लेते हैं, लेकिन 1000 का असली और अच्छा हेलमेट क्यों नहीं। सड़क दुर्घटनाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि लोग हेल्मेट नहीं पहनते या घटिया हेलमेट पहनते हैं। ऐसे में भारत सरकार के सुरक्षित मापदंडों वाला आईएसआई प्रमाणित हेलमेट ही पहनना चाहिए।
तीन दिन होगी चर्चा
न्यूरोट्राॅमा सोसायटी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष डा. वी सुंदर ने बताया कि आगरा में 23 से 25 अगस्त 2019 तक न्यूरोट्राॅमा-2019 आयोजित हो रही है। इसमें देश-विदेश से आए विशेषज्ञ बीच तकनीकी ज्ञान के आदान-प्रदान के अतिरिक्त न्यूरोट्राॅमा के कारणों, परिणामों, लक्षणों और बचाव समेत तमाम पहलुओं पर भी चर्चा होगी। एक निष्कर्ष तक पहुंचने और इसके बाद गाइड लाइन तैयार कर न्यूरोट्राॅमा से बचाव पर कुछ अहम कदम उठाने की सिफारिश सरकार से की जाएगी।
महिलाएं भी रखें ध्यान
डा. आरसी मिश्रा ने कहा कि सिर की चोट के शिकार होने वालों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं। वाहनों पर पीठे बैठने वाले भी उतने ही जोखिम में होते हैं, जितना कि वाहन चला रहा व्यक्ति। उन्हें समझना चाहिए कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उन्हें हेलमेट पहनने की इजाजत नहीं देता। खुद की सुरक्षा का ध्यान रखें। जब पुरूष गाड़ी चला रहे हों तब भी वे पीछे बेफिक्र होकर न बैठें। क्योंकि दुर्घटना होने पर उन्हें भी चोट लग सकती है। मां, बहन, पत्नी वे पुरूषों को भी रैश ड्राइविंग करने से मना कर सकती हैं। महिलाएं पुरूषों को यातायात नियमों के उल्लंघन से मना कर सकती हैं और उन्हें बिना हेलमेट लगाए या सीट बेल्ट पहने घर से निकलने से रोक सकती हैं।
असली हेलमेट ही पहनें
इतना ही नहीं हेलमेट लेने से पहले असली और नकली का भी ध्यान रखें। सस्ते हेल्मेट के चक्कर में अपनी जान से खिलवाड़ न करें, क्योंकि यह हेलमेट आपकी सुरक्षा के मानकों पर खरे नहीं होते। दुर्घटना के दौरान यह आपका बचाव नहीं कर पाते। इसलिए जरूरी है कि भारत सरकार के सेफ्टी नाॅम्र्स के तहत बनाए जाने वाले आईएसआई प्रमाणित हेलमेट ही पहनें।
नो हेलमेट, नो पेट्रोल पर सख्ती की जरूरत
इसके अलावा नो हेलमेट, नो पेट्रोल जैसे अभियानों को सख्ती से लागू कराने की जरूरत भी महसूस होती है। वर्ष 2009 में आगरा में इसकी शुरूआत कराई गई थी। इसके बाद अभियान कई बार ठंडे बस्ते में जाता रहा। अब एक बार फिर इसे लागू किया गया है, लेकिन और सख्ती की जरूरत है। देखना होगा कि लोग पेट्रोल लेने के लिए सिर्फ उसी समय हेलमेट न पहनें।
सड़क सुरक्षा नियमों के पालन पर जोर
महापौर नवीन जैन ने उपस्थितजनों को हेलमेट पहनने और यातायात नियमों का पालन करने की शपथ दिलाई। अतिथिमंडल में सांसद राजकुमार चाहर, माननीय सांसद एसपी सिंह बघेल जी की धर्मपत्नी मधु बघेल जी, विधायकगण पुरुषोत्तम खंडेलवाल, योगेंद्र उपाध्याय, पुलिस महानिरीक्षक सतीश गणेश, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जीसी सक्सेना, रेनबो हॉस्पिटल के निदेशक डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने भी सड़क सुरक्षा नियमों के पालन पर जोर दिया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर एमएसएमआई के चेयरमैन राकेश गर्ग, सीनियर डायटीशियन डा. रेणुका डंग, क्लब 35 प्लस कीं अध्यक्ष अशु मित्तल, स्मृति संस्था कीं निदेशक डॉ निहारिका मल्होत्रा, लीडर्स आगरा के सुनील जैन, शिक्षाविद् एमडी शर्मा, आदि का सहयोग सराहनीय रहा। इस अवसर पर डॉ डीवी शर्मा, डॉ अशोक शर्मा, डॉ सौरभ शर्मा, डा. संजय गुप्ता, डा. आलोक अग्रवाल, डा. अरविंद अग्रवाल, मोनिका अग्रवाल, डॉ पार्थ सारथी शर्मा, हरीमोहन, हिमांशु सचदेवा, आनंद अग्रवाल, अमित अग्रवाल, डॉ रोहित जैन, सुनील खेत्रपाल, अमित खत्री आदि मौजूद थे। शिवालिक पब्लिक स्कूल, शिवालिक कैम्ब्रिज स्कूल, श्री नारायणी गर्ल्स इंटर कॉलेज, सेंट मेरी इंटर कॉलेज, श्री रामकृष्ण इंटर कॉलेज।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो