मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि मौसम में लगातार हो रहे बदलाव को लेकर लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने बताया कि धूप में ज्यादा न निकले | अगर बहुत जरूरी है तो पूरी तरह से शरीर को ढक कर ही बाहर निकले। धूप में निकलने पर पानी और तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करें। खान-पान के प्रति ध्यान देना बेहद जरूरी है। ऐसे मौसम में लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। सीएमओ ने बताया कि इस मौसम में सबसे ज्यादा आंखों के इन्फेक्शन का खतरा रहता है। लोग बार-बार अपने हाथों से आंखों को साफ करते रहते हैं। इसलिए अपने हाथों को हमेशा साफ रखें और आंखों को पोंछने के लिए साफ कपड़े का इस्तेमाल करे। आंख में किसी प्रकार की परेशानी या लालिमा होने पहले उसे ठंडे पानी से साफ कर लें और हो सके तो बर्फ से सिकाई भी की जा सकती है। अगर फिर भी आंखों को आराम न मिले तो तत्काल आंखों के डाक्टर से सम्पर्क कर उनकी सलाह पर ही आई ड्राप का इस्तेमाल करें। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एसके गुप्ता ने बताया कि इस मौसम में तेज धूप और धूल से आंखों में एलर्जी की परेशानी हो रही है। जैसे आंख में लालिमा, खुजली व जलन होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इससे बचाव के लिए लोग एलर्जी का ड्राप चिकित्सक के परामर्श से ले सकते हैं।
गर्मी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों के गर्मी की चपेट में आने का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगियों, डायबिटीज, किडनी, सांस के मरीजों में हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। गर्मी में अधिक पसीना आने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में पानी की कमी होने पर ओआरएस पाउडर, नींबू नमक के घोल का प्रयोग करें।
नब्ज तेज़ हो जाना, सांस उथली व तेज होना, व्यवहार में परिवर्तन व भ्रम की स्थिति, सिरदर्द मतली, थकान, कमजोरी, चक्कर आना, बदन पर चकत्ते पड़ना, अधिक पसीना आना, बदन में झटके व बेहोशी आदि हीट स्ट्रोक के लक्षण के लक्षण हैं।