scriptShani Jayanti 2020 : कोरोना के दुष्परिणामों से बचने के लिए आज शाम शनिदेव की इस तरह करें विधिवत पूजा | how to worship on shanidev on Shani Amavasya 2020 pujavidhi and katha | Patrika News
आगरा

Shani Jayanti 2020 : कोरोना के दुष्परिणामों से बचने के लिए आज शाम शनिदेव की इस तरह करें विधिवत पूजा

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि शनिदेव हमारे कर्मों के हिसाब से व्यक्ति को पुरस्कृत करते हैं, वहीं दंड के रूप में दुःख, रोग, शोक, व्यापार में हानि, दुर्घटना आदि विभिन्न प्रकार के कष्ट भी देते हैं।

आगराMay 22, 2020 / 03:23 pm

suchita mishra

Shani Jayanti 2020 : कोरोना के दुष्परिणामों से बचने के लिए आज शाम शनिदेव की इस तरह करें विधिवत पूजा

Shani Jayanti 2020 : कोरोना के दुष्परिणामों से बचने के लिए आज शाम शनिदेव की इस तरह करें विधिवत पूजा

आगरा. भारत समेत दुनियाभर में हाहाकार मचा रही कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए ब्रज के विख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने 22 मई यानी की आज की शनि अमावस्या (Shani Amavasya) को बहुत महत्वपूर्ण बताया है। शनि अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि शनि देव कर्मफल दाता हैं। वो हमारे कर्मों के हिसाब से व्यक्ति को पुरस्कृत करते हैं, वहीं दंड के रूप में दुःख, रोग, शोक, व्यापार में हानि, दुर्घटना आदि विभिन्न प्रकार के कष्ट भी देते हैं। वर्तमान में चल रही कोरोना महामारी भी हमारे कर्मों का ही परिणाम है। ऐसे में इस महामारी के दुष्परिणामों से बचने के लिए आज के दिन विधि विधान से शनिदेव का पूजन करें।

1. शाम को पश्चिम दिशा की ओर एक दीपक जलाएं, इसके बाद “ॐ शं अभयहस्ताय नमः” या “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें। इसके बाद शनि जन्म कथा का पाठ करें।

2. सुंदरकांड पढ़े या हनुमान चालीसा का 21 बार जाप करें। हनुमान जी की आराधना से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

3. शाम को पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

4. कुत्तों को सरसों के तेल से परांठा बनाकर खिलाएं।

5. निर्धन को जरूरत का सामान दान करें।

ये है शनि जन्म कथा

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक बार सूर्यदेव की पत्नी छाया ने उनके प्रचंड तेज से भयभीत होकर अपनी आंखें बंद कर ली थीं। बाद में छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के श्याम वर्ण को देखकर सूर्य ने पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि उनका पुत्र नहीं है। कहते हैं कि तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं। शनि देव ने अनेक वर्षों तक शिव की तपस्‍या की थी। शनिदेव की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनसे वरदान मांगने को कहा।

शनिदेव ने प्रार्थना की कि युगों-युगों से मेरी मां छाया की पराजय होती रही है, उसे मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत अपमानित व प्रताड़ित किया गया है, इसलिए मेरी माता की इच्छा है कि मैं अपने पिता से भी ज्यादा शक्तिशाली व पूज्य बनूं। तब भगवान शिवजी ने उन्हें वरदान देते हुए कहा, नवग्रहों में तुम्हारा स्थान सर्वश्रेष्ठ रहेगा। तुम पृथ्वीलोक के न्यायाधीश व दंडाधिकारी रहोगे।

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