ये है कहानी
फिल्म बिहार के शिक्षक आनंद कुमार पर बनी है। आनंद कुमार का रोल ऋतिक रोशन ने किया है। आनंद कुमार मैथ्स का जीनियस है और अंकों में ही अपनी जिंदगी जीता है। एक्स्ट्राऑर्डिनरी टैलेंट के कारण उसका दाखिला कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हो जाता है। लेकिन आर्थिक तंगी और पिता की मौत के कारण वो वहां नहीं जा पाता। इसके बाद घर संभालने के लिए पापड़ बेचने का काम करता है। कुछ समय बाद एक कोचिंग सेंटर में काम करने लगता है। एक दिन वो फैसला करता है कि अब वो गरीब और मजबूर बच्चों को पढ़ाएगा। बच्चे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले 30 बच्चे बिहार के दूरदराज इलाकों से उसके पास पढ़ने आते हैं। वो उन्हें खुली आंखों से सपना देखना सिखाता है और वहां तक पहुंचाता है जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होती। फिल्म की कहानी उन सभी लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिनके पास टैलेंट तो है पर पैसा नहीं।
फिल्म बिहार के शिक्षक आनंद कुमार पर बनी है। आनंद कुमार का रोल ऋतिक रोशन ने किया है। आनंद कुमार मैथ्स का जीनियस है और अंकों में ही अपनी जिंदगी जीता है। एक्स्ट्राऑर्डिनरी टैलेंट के कारण उसका दाखिला कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हो जाता है। लेकिन आर्थिक तंगी और पिता की मौत के कारण वो वहां नहीं जा पाता। इसके बाद घर संभालने के लिए पापड़ बेचने का काम करता है। कुछ समय बाद एक कोचिंग सेंटर में काम करने लगता है। एक दिन वो फैसला करता है कि अब वो गरीब और मजबूर बच्चों को पढ़ाएगा। बच्चे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले 30 बच्चे बिहार के दूरदराज इलाकों से उसके पास पढ़ने आते हैं। वो उन्हें खुली आंखों से सपना देखना सिखाता है और वहां तक पहुंचाता है जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होती। फिल्म की कहानी उन सभी लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिनके पास टैलेंट तो है पर पैसा नहीं।
आगरा के लोगों की ऐसी रही प्रक्रिया हरीश नगर इलाके से अपने परिवार के साथ मूवी देखने आयीं सारिका मिश्रा कहती हैं, कि ये फिल्म निराश व्यक्ति को उम्मीद बंधाती है। इसे हर किसी को जरूर देखना चाहिए।
वहीं विजय कुमार कहते हैं कि सैल्यूट आनंद कुमार को। ऐसे आनंद कुमार अगर देश के अन्य हिस्सों में आ जाएं तो देश की तस्वीर बदल जाएगी। विजय ऋतिक की एक्टिंग की भी तारीफ करते हैं। साथ ही कहते हैं कि ऐसे विषयों पर फिल्में आती रहनी चाहिए।
अंकित गुप्ता का इस मामले में कहना है। फिल्म उम्मीद से ज्यादा अच्छी लगी। कई जगहों पर दृश्य काफी इमोशनल कर देते हैं। ऐसी फिल्में काफी मनोबल बढ़ाती हैं।