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इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि विधायक रानी पक्षालिका सिंह (Rani Pkshalika singh) ने की। कहा कि इस तरह के सम्मेलन आवश्यक होते हैं ताकि समाज तक एक संदेश पहुंचाया जा सके। इसके बाद ‘मैं बांझ नहीं हूं‘ फिल्म रिलीज की गई। लोगों को यह फिल्म दिखाई गई, जिसके जरिए यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की गई कि एक निसंतान महिला को कितने कष्ट सहने पड़ते हैं। बांझ कहना उसके लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। संरक्षक डा. नरेंद्र मल्होत्रा, क्लब 35 प्लस कीं अध्यक्ष अशु मित्तल, आयोजन अध्यक्ष डा. अनुपम गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान आगरा ऑब्स एंड गायनी सोसायटी से डॉ. शिखा सिंह, डॉ. संतोष सिंघल, डॉ. सरोज सिंह, डॉ. सुधा बंसल, डॉ. आरती गुप्ता, रेनबो हॉस्पिटल के डॉ. निहारिका मल्होत्रा, डॉ. केशव मल्होत्रा, डॉ. मनप्रीत शर्मा, रोटरी क्लब ऑफ ताज सिटी से मोतीलाल जैन, क्लब 35 प्लस से मयूरी मित्तल, पूनम सचदेवा, सुमित घई, तनवी आदि मौजूद थे।
लोग अलग, समस्याएं अलग
सार्वजनिक परिचर्चा के बाद लोगों को सवाल पूछने का अवसर भी दिया गया। इसमें अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग समस्याएं सामने रखीं तो वहीं कई ऐसे थे जिनमें आईवीएफ को लेकर कई तरह की भ्रांतियां थीं। इन्हें विशेषज्ञों ने दूर किया।
सवाल- ऐसा क्यों है कि बच्चा न होने पर एक औरत को अधूरा माना जाता है। यह पुरूषों के साथ क्यों नहीं है?
जवाब- ऐसा नहीं है कि यह पुरूषों के साथ नहीं होता। संतान की चाह पुरुषों में भी उतनी ही होती है जितनी कि महिला में, यह बात और है कि वह अपना दुख जताना नहीं चाहते।
सवाल- संतान प्राप्त न होने पर आईवीएफ एक विकल्प के रूप में सामने है, क्या अब भी इसे प्रचार-प्रसार की जरूरत है।
जवाब- जी नहीं, बल्कि लोगों को अब इसे अपनाने की जरूरत है।
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जवाब- आईवीएफ में भ्रूण को तैयार केवल बाहर किया जाता है। इसका विकास उसी तरह गर्भाशय में होता है, जैसा कि सामान्य प्रेग्नेंसी में होता है। इसलिए इसमें सिजेरियन की उतनी ही संभावना होती है, जितनी नॉर्मल प्रेग्नेंसी में।
सवाल- अगर कोई महिला आईवीएफ से कंसीव करती है तो क्या अबॉर्शन की संभावना अधिक होती है ?
जवाब- सामान्य तरीके से हुई प्रेग्नेंसी और आईवीएफ के जरिए गर्भधारण दोनों में ही अबॉर्शन की संभावना बराबर होती है। भ्रूण को स्थानांतरित किए जाने के बाद सब नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तरह ही होता है।
सवाल- आईवीएफ के लिए उम्र कितनी होनी चाहिए ?
जवाब- आईवीएफ में अधिक उम्र की महिलाएं भी गर्भधारण कर सकती हैं, लेकिन माता-पिता दोनों की उम्र मिलाकर 100 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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सवाल- क्या आईवीएफ से कंसीव करने के बाद महिला को नौ महीने तक अस्पताल में रहना पड़ता है।
जवाब- नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आईवीएफ केवल प्रेग्नेंसी की एक प्रक्रिया है। इसके बाद महिला हर काम नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तरह ही कर सकती है।