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क्या होता है भजन, क्या होती है समाधि, पढ़िए लोक-परलोक सुधारने वाली कहानी

locationआगराPublished: Apr 11, 2019 08:28:38 am

भजन – देह तो दुकान, मकान में लगी है और मन लीलाओं में डूबा हुआ है। इसे ही समाधि कहते हैं।

1. भक्ति की प्राइमरी क्लास – भगवान की सेवा करना।
2. हाई क्लास – जप करना पाँच माला, सात माला, आदि…
3. इंटर क्लास – सुमिरन करना। अर्थात भक्ति में प्रवेश। घर का काम भी कर रहे हैं और जीभ सुमिरन कर रही है।
4. भजन – देह तो दुकान, मकान में लगी है और मन लीलाओं में डूबा हुआ है। इसे ही समाधि कहते हैं।
भौतिक देह से बाहर के काम करना और सूक्ष्म देह से भगवान की लीलाओं का चिंतन करना ही समाधि है। अर्थात सम +धि बुद्धि स्थिर हो जाए, न ऊँची, न नीची, एकदम स्थिर, उसे ही समाधि लगना कहते हैं।
जैसे एक गोपी जिसका नया-नया विवाह वृंदावन में हुआ था, चौका में रोटी बना रही थी। घूँघट डाले हुए है। कान्हा अभी दो ढाई वर्ष के होंगे। गोपी के चौके में घुस आये और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले – ओ भाभी! ओ भाभी! तेरे हाथ जोडूं, तेरे जुए बीनू, तेरे लाल को खिलाऊं, आधी रोटी दे दे। मोरे घर में तो अभी बनी नाय है। मइया तो पहले यमुना स्नान को जायेगी फिर रोटी बनाएगी। मोय तो बड़ी जोर से भूख लगी है। आधी रोटी दे दे मोको।
फिर भगवान बड़े हुए, मथुरा और फिर द्वारिका चले गए और वही गोपी अब 5० वर्ष की हो गई। एक दिन चौके में बैठी रोटी बना रही है। वही कान्हा का द्रश्य आँखों में दिखायी देने लगा। एक रोटी पटे पर पड़ी है। और एक तवे पर है, गोपी तो एकदम जैसे किसी को मिर्गी का दौरा आ जाता है। ऐसे मुंह फाड़े हाथ पैर फैलाये, उसी भाव में डूबी हुई है।
तभी उसकी सास ने जब रोटी के जलने की बास आई तो झट से चौके में दौड़ी आई, देखा गोपी तो मुंह बाये एकदम पड़ी है, जोर-जोर से हिलाने लगी, बहू क्या हो गया। गोपी झट से जागी। सास बोली कहाँ चली गई थी। गोपी बोली – अपने कृष्ण के पास गई थी, काहे को बुला लिया। मैं तो अपने गोविंद के चरणों में गई थी। बस इसी का नाम भजन है।
सीख
हर जगह बस उसी का दर्शन हो, जिस रंग का वह वस्त्र पहना करते है, उस रंग का यदि कोई फूल भी दिख जाए तो उसकी याद आ जाए। जैसे राधा रानी जी यदि नीले आकाश को भी देखती थी तो श्याम के वर्ण को याद करने रोने लगती थी। हर पल हर घड़ी उसकी याद अन्तःकरण में समाई रहे, यही भजन है।
प्रस्तुतिः डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, प्रध्यापक, केए कॉलेज, कासगंज।
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