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उधर से आवाज आई- इधर तो आओ। लड़ने कहा- कौन हो तुम? आवाज ने भी कहा- कौन हो तुम? लड़के ने उसे डांटा- तुम बहुत खराब लड़के को। आवाज ने भी उसी तरह डांटा- तुम बहुत खराब लड़के हो।
उधर से आवाज आई- इधर तो आओ। लड़ने कहा- कौन हो तुम? आवाज ने भी कहा- कौन हो तुम? लड़के ने उसे डांटा- तुम बहुत खराब लड़के को। आवाज ने भी उसी तरह डांटा- तुम बहुत खराब लड़के हो।
यह भी पढ़ें Big Breaking लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा बृज क्षेत्र कार्यसमिति घोषित, यहां देखें पूरी सूची लड़का घबराया और जंगल से घर लौट आया। उसने अपनी मां को सारी घटना बताई- मां, जंगल में एक बहुत खराब लड़का लड़का रहता है। वह हू-ब-हू मेरी नकल करता है। जो मैं कहता हूं, वह भी वही कहता है। मैं जैसे चिल्लाता हूं, वह भी वैसे ही चिल्लाता है।
उसकी मां समझ गई कि मामला क्या है। उसने अपने बेटे से कहा- तुम उस लड़के से विनम्रतापूर्वक बोलो। यदि तुम नम्रतापूर्वक बोलोगे तो वह भी तुमसे नम्रतापूर्वक बोलेगा। यह भी पढ़ें एएमयू में दलितों के आरक्षण पर एससी आयोग के अध्यक्ष करेंगे समीक्षा
लड़का फिर उसी जंगल में गया। वहां उसने जोर से कहा- तुम बहुत अच्छे हो। उधर से आवाज आई- तुम बहुत अच्छे हो। लड़के ने और जोर देकर कहा- मैं तुमसे प्यार करता हूं। उधर से भी आवाज आई- मैं तुमसे प्यार करता हूं।
यह भी पढ़ें पांच साल की बच्ची का दिनदहाड़े अपहरण सीख मनुष्य जीवन भी एक प्रतिध्वनि की तरह है। यदि तुम चाहते हो कि लोग तुमसे प्रेम करें, तो तुम भी दूसरों से प्रेम करो। तुम जिससे भी मिलो, मुस्कुराते हुए मिलो। तुमको मुस्कुराता हुआ देखकर वह भी मुस्कुराएगा और फिर मुस्कुराहट ही मुस्कुराहट नजर आएगी।
प्रस्तुतिः सतीश चंद्र अग्रवाल आनंद वृंदावन, संजय प्लेस, आगरा