scriptबुजुर्गों को क्या चाहिए, ये कहानी पढ़कर सब समझ में आ जाएगा | Inspirational Motivational story of senior citizen family old man | Patrika News

बुजुर्गों को क्या चाहिए, ये कहानी पढ़कर सब समझ में आ जाएगा

locationआगराPublished: Nov 04, 2018 07:48:28 am

हां बेटा, तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं, लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी।

family old man hindi news

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हां बेटा, तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं, लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी।

माँ जिद कर रही थी कि उसकी चारपाई गैलरी में डाल दी जाये। बेटा परेशान था। बहू बड़बड़ा रही थी- कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नहीं देता। हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया। सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गईं हैं?
माँ कमजोर और बीमार हैं। जिद कर रही हैं तो उनकी चारपाई गैलरी में डलवा ही देता हूँ। निकित ने सोचा। माँ की इच्छा पूरी करना उसका स्वभाव था। अब माँ की चारपाई गैलरी में आ गई थी। हर समय चारपाई पर पड़ी रहने वाली माँ अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाती।
कुछ देर लॉन में टहलती। लॉन में खेलते नाती – पोतों से बातें करती, हंसती, बोलतीं और मुस्कुराती। कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें लाने की फरमाईश भी करती। खुद खाती, बहू – बटे और बच्चों को भी खिलाती। धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था।
दादी मेरी बॉल फेंको। गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी तो बेटे को डांटने लगा- अंशुल, मां बुजुर्ग हैं। उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो। पापा दादी रोज हमारी बॉल उठाकर फेंकती हैं, अंशुल भोलेपन से बोला। क्या, “निकित ने आश्चर्य से माँ की तरफ देखा? हां बेटा, तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं, लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी। जब से गैलरी में चारपाई पड़ी है, निकलते बैठते तुम लोगों से बातें हो जाती है। शाम को अंशुल -पाशी का साथ मिल जाता है।
माँ कहे जा रही थी और निकित सोच रहा था- बुजुर्गों को शायद भौतिक सुख सुविधाओ से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है
प्रस्तुतिः निर्मला दीक्षित
सदस्य, राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश

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