“शंकर ! सदा खुश रहो बेटा। मेरा दाना पानी अब पूरा हुआ। ” पिता बोले।
“बाबा ! आपको तो सेंचुरी लगानी है। आप मेरे तेंदुलकर हो।” आँखों में आंसू बहने लगे थे।
वह मुस्कुराए और बोले – “तेरी माँ पेवेलियन में इंतज़ार कर रही है। अगला मैच खेलना है। तेरा पोता बनकर आऊंगा, तब खूब खाऊंगा बेटा।”
पिता उसे देखते रहे। शंकर ने प्लेट उठाकर एक तरफ रख दी, मगर पिता उसे लगातार देखे जा रहे थे। आँख भी नहीं झपक रही थी। शंकर समझ गया कि यात्रा पूर्ण हुई .
तभी उसे ख्याल आया , पिता कहा करते थे –
“बाबा ! आपको तो सेंचुरी लगानी है। आप मेरे तेंदुलकर हो।” आँखों में आंसू बहने लगे थे।
वह मुस्कुराए और बोले – “तेरी माँ पेवेलियन में इंतज़ार कर रही है। अगला मैच खेलना है। तेरा पोता बनकर आऊंगा, तब खूब खाऊंगा बेटा।”
पिता उसे देखते रहे। शंकर ने प्लेट उठाकर एक तरफ रख दी, मगर पिता उसे लगातार देखे जा रहे थे। आँख भी नहीं झपक रही थी। शंकर समझ गया कि यात्रा पूर्ण हुई .
तभी उसे ख्याल आया , पिता कहा करते थे –
“श्राद्ध खाने नहीं आऊंगा कौआ बनकर , जो खिलाना है अभी खिला दे।” सीख
माँ बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखें। प्रस्तुति– हरिहरपुरी मठ प्रशासक, श्रीमनःकामेश्वर मंदिर, आगरा
माँ बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखें। प्रस्तुति– हरिहरपुरी मठ प्रशासक, श्रीमनःकामेश्वर मंदिर, आगरा