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विजन डॉक्युमेंटः TTZ में उद्योगों को बचाने के लिए केशो मेहरा की पहल, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे IA

locationआगराPublished: Oct 20, 2018 08:50:38 am

सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख रखा जाना है कि 30 दिसम्बर, 1996 का निर्णय आज भी बाध्यकारी एवं प्रभावी है, इस निर्णय को किसी ने चुनौती नहीं दी है।

kesho mehra

केशो मेहरा

आगरा। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) के उद्योगों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में वादकालीन आवेदनपत्र (interlocutory application- आईए) प्रस्तुत करने की पहल हो गई है। पूर्व आगरा छावनी के पूर्व विधायक केशो मेहरा ने उद्योगों की ओर से आईए में प्रस्तुत करने वाले सभी दस्तावेज सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता फर्म को सौंप दिए। कुछ ही दिन में यह आईए तैयार होकर सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत कर दी जाएगी। केशो मेहरा ने बताया कि आईए में उद्योगों की ओर से प्रमुख रूप से यह तथ्य सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख रखा जाना है कि 30 दिसम्बर, 1996 का निर्णय आज भी बाध्यकारी एवं प्रभावी है, इस निर्णय को किसी ने चुनौती नहीं दी है।
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विजन डॉक्युमेंट का उद्देश्य
आईए में इस तथ्य को रखा जाना है कि विजन डॉक्युमेंट बनाते समय स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली का पर्यावरण विभाग यह संस्तुति नहीं कर सकता है कि आगरा से नारंगी और लाल श्रेणी के उद्योगों को ताज ट्रेपेजियम जोन के बाहर कर दिया जाए। यह उनके अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत ही नहीं है। यदि गलती से उन्होंने ऐसी संस्तुति प्रथम ड्राफ्ट में की है एवं उसे पुनः दोहराया तो यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अवमानना होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने विजन डॉक्युमेंट इस आशय से बनाने का निर्देश दिया है कि आगे आने वाले 200-300 वर्षों तक ताजमहल का संरक्षण एवं सुरक्षा भविष्य में किस प्रकार हो, इस हेतु योजना बनाएं।
आदेश निरस्त किया जाए

केशो मेहरा ने अवगत कराया है कि आईए में इस ओर भी विशेष बल दिया जाएगा कि आठ सितम्बर, 2016 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा तत्कालीन सचिव अजय नारायण झा की अध्यक्षता में हुई बैठक में ताज ट्रपेजियम जोन में नए उद्योगों की स्थापना एवं स्थापित उद्योगों की क्षमता बढ़ाने पर तदर्थ रोक का आदेश, पर्यावरण (संरक्षण) नियमावली 1986 के नियमों का पालन न किए जाने के कारण प्रारंभ से ही अवैध, विधिविरुद्ध है, इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट
पर्यावरण और उद्योग साथ-साथ

आईए में इस ओर भी सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट किया जाएगा कि एम0सी0 मेहता, जिन्होंने मूल याचिका संख्या 13381/1984 प्रस्तुत की है व जिस पर 30 दिसम्ब, 1996 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट आदेश हो चुका है कि, ”यह पुरानी अवधारणा है कि उद्योग एवं पर्यावरण साथ-साथ नहीं चल सकते, अब यह धारणा स्वीकार्य नहीं है, देश की आर्थिक उन्नति के लिए उद्योगों का लगना आवश्यक है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखना चाहिए।“
बिजली नहीं आ रही

एक मई, 2018 को एम0सी0 मेहता द्वारा अपने ही द्वारा प्रस्तुत सिविल रिट याचिका संख्या 13381/1984 में एक नई आईए लगा दी है, जिसमें उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि 30 दिसम्बर,1996 का निर्णय बाध्यकारी और प्रभावी है, इस ओर भी सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट किया है कि उक्त निर्णय का अनुपालन न होने के फलस्वरूप ताज ट्रेपेजियम जोन के सभी जनपदों में 24 घंटे निरन्तर बिजली नहीं आ रही है। यमुना में अब तक बैराज नहीं बना है। बाईपास रोड नहीं बनी हैं। केशो मेहरा ने एमसी मेहता की एक मई, 2018 की आईए की प्रार्थना के संदर्भ में कहा है कि एक ओर तो एमसी मेहता सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के जिन बिन्दुओं का पालन नहीं हुआ है, उस ओर सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं, यह उचित ही है, लेकिन यह यह भी लिख दिया कि राज्य को निर्देशित किया जाए कि प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद कर दिया जाए अथवा ताज ट्रपेजियम जोन से बाहर कर दिया जाए।
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उद्योग न हटाए जाएं

विजन डॉक्युमेंट व प्लान बनाने वाली इकाई के संदर्भ में भी आईए में स्पष्ट रूप से यह कहा जाएगा कि उन्हें केवल और केवल आगे आने वाले 200-300 वर्षों में ताज ट्रपेजियम जोन में योजना किस प्रकार बनाई जाए, उसका उल्लेख करें, साथ ही इसका उल्लेख करें कि पीएम10 एवं पीएम2.5 की मात्रा किस प्रकार से कम की जा सके, किसी भी श्रेणी के उद्योग को ताज ट्रपेजियम जोन में बंद किए जाने अथवा बाहर किए जाने की कोई संस्तुति किसी भी स्थिति में न करें, क्योंकि वह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अवमानना होगी।
बीजिंग कैसे हुआ प्रदूषणमुक्त

आईए में यह भी सुझाव दिए जाने हैं कि दुनिया में सबसे प्रदूषित चीन के बीजिंग शहर को किस प्रकार वायुप्रदूषण से मुक्त किया गया व अन्य देश जापान, वल्र्ड बैंक, वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन इस दिशा में क्या प्रयत्न कर रहे हैं, जिससे पीएम10 व पीएम2.5 की मात्रा कम हो, जो कि ताजमहल के संगमरमर के लिए तो हानिकारक है ही नहीं, वरन् वह शिशुओं व वृद्धों के लिए हानिकारक है, जिससे भारत में 10-12 लाख मृत्यु प्रतिवर्ष हो जाती हैं, इसके साथ ही यदि पीएम10 व पीएम2.5 की मात्रा वायुमंडल में निर्धारित मानकों के अन्तर्गत रहेगी, तो प्रत्येक भारतीय की औसत आयु 3-4 साल बढ़ जाएगी।
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ये हैं सुझाव

केशो मेहरा ने कहा है कि आईए में यह सुझाव दिए जाने हैं कि ताज ट्रपेजियम जोन में 24 घंटे निरन्तर बिजली की आपूर्ति हो, यमुना नदी पर बैराज बने, बाईपास रोड बनें साथ ही आगरा में धूल के कण पीएम10 व पीएम2.5 की मात्रा निर्धारित मानकों के अन्तर्गत तो हो ही, वहीं दूसरी ओर, आकाश पूर्णतः नीला दिखाई दे, चिड़िया चारों ओर चहचहाएं, हरियाली ही हरियाली हो, कहीं भी धूल न उड़े, यातायात व्यवस्था सुचारु बनाई जाए, उसके लिए इनर रिंग रोड, आउटर रिंग रोड, मल्टीलेयर रोड, मल्टीलेवल पार्किंग, ताजमहल के पीछे स्वच्छ जल से कलकल करती हुई यमुना हो, यमुना नदी में समय-समय पर ड्रेजिंग हो, जिससे कि वर्षभर ताजमहल के पीछे जल स्थायी रूप से बना रहे, सड़कें कदापि डामर की न बनाई जाएं, क्योंकि जलनिकासी समुचित न होने के कारण डामर की सड़कें एक ही बरसात में टूट जाती हैं, अतः सड़क एक किनारे से दूसरे किनारे तक पक्की रबराइज्ड अथवा सीमेंट-कंक्रीट की बनाई जाएं, जिसके कारण वर्षा में सड़कें किसी भी स्थिति में न टूटें, प्रत्येक ऐसा स्थान, जिसमें मिट्टी हो, उस पर घास लगाई जाए व घास निरन्तर हरी बनी रहे, इस हेतु ड्रिप इरिगेशन प्रणाली घास को सिंचित करने हेतु लगाई जाए, सघन वृक्षारोपण किया जाए, विशेष रूप से ताजमहल के 2 किलोमीटर रेडियस क्षेत्र में हैवी ड्यूटी फुव्वारे, डस्ट कलेक्टर लगाए जाएं, जिससे ताजमहल तक धूल का एक भी कण पीएम10 व पीएम2.5 न पहुंचे।

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