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यह बच्चा जो यहां बैठा है, इस बच्चे की कहीं भूख मिटे, क्या मुश्किल है, हो सकता है…

locationआगराPublished: Jun 11, 2019 05:22:07 pm

ताजमहल के शहर आगरा में हजारों बच्चे बाल श्रम के दल दल में फंसे हुये हैं।

 International Child Labor Prohibition Day 2019

International Child Labor Prohibition Day 2019

यह बच्चा जो यहाँ बैठा है
इस बच्चे की कहीं भूख मिटे
{क्या मुश्किल है, हो सकता है)
इस बच्चे को कहीं दूध मिले
(हाँ दूध यहाँ बहुतेरा है)
इस बच्चे का कोई तन ढाँके
(क्या कपड़ों का यहाँ तोड़ा है ?)
इस बच्चे को कोई गोद में ले
(इन्सान जो अब तक ज़िन्दा है)
फिर देखिए कैसा बच्चा है
यह कितना प्यारा बच्चा है
आप सोच रहे होंगे कि इब्ने इंशा की कविता की ये पंक्तियां यहां क्यों लिखी जा रही हैं, तो आपको बता दें कि 12 जून को बालश्रम निषेध दिवस है। यानी कि भारत में बच्चों से काम कराना अपराध है। बच्चे काम क्यों कर रहे हैं? पेट की भूख मिटाने के लिए, दूध के लिए और तन ढकने के लिए। अगर इसकी व्यवस्था हो जाए तो कोई बच्चों से काम क्यों कराएगा? यूं तो बच्चों के लिए काम करने वाली अनेक संस्थाएं हैं, लेकिन बच्चों की भूख कोई नहीं मिटाना चाहता है।
ताजमहल के शहर आगरा में हजारों बच्चे बाल श्रम के दल दल में फंसे हुये हैं। जिस उम्र में नन्हे और नाजुक हाथों में कॉपी कलम होनी चाहिये, उन हाथों में पेचकस, प्लास, गरम चाय का गिलास है। जिन मासूम को बेहद लाड प्यार मिलना चाहिये, वे मालिक की फटकार खा रहे हैं। वह दृश्य तो वो भयावह होता है, जब मासूम बच्चों से झूठे बरतन धुलवाए जाते हैं।
 International </figure> Child Labor Prohibition Day 2019″ src=””><strong>ऐसे स्थान जहां सर्वाधिक चाइल्ड लेबर</strong> <br>अब आपको हम ऐसे स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आपको सर्वाधिक संख्या में बाल श्रम में संलिप्त बच्चे मिलेंगे। शहर के कई स्थानों पर छोटे मोटे होटल, ढाबों पर ये बच्चे आपको काम करते दिखाई देंगे। सबसे बड़े मोटर बाइक मार्केट बालूगंज में आपको मासूम हाथों में प्लास, पेचकस दिखाई देंगे। कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां ये बच्चे सबसे अधिक मिलते हैं, लेकिन आपको कम दिखाई देंगे। ये स्थान हैं, गोकुलपुरा और ताजगंज क्षेत्र। इन स्थानों पर पच्चीकारी का काम होता है। जिसमें छोटे बच्चे काम करते देखते जा सकते हैं। ये बच्चे पच्चीकारी करते हैं। यानी पत्थरों को तराशकर उन्हे खूबसूरत रूप देते हैं। ताजमहल की खूबसूरती पच्चीकारी में है।</div><div class=
 International Child Labor Prohibition Day 2019
भूख में खो गया बचपन
आज भी मासूम बचपन भूख में खो रहा है। सरकार की इन मासूमों को लेकर तमाम योजनायें हैं। सरकारी विद्यायलों में फ्री में शिक्षा के साथ ही कॉपी किताब और स्कूल की ड्रेस भी मिल रही है। इतना ही नहीं ये बच्चे बाल श्रम के दलदल से बाहर आ सकें, इसके लिये स्कूल में निशुल्क खाने की भी व्यवस्था है, लेकिन बावजूद इसके मासूम बचपन काम धंधों में उलझ रहा है। आखिर कमी किसकी है। सरकार की या उन मां बाप की? समझना बेहद मुश्किल है, लेकिन बहुत साफ शब्दों में कहा जाए, तो यहां पूरी कमी जागरुकता की है। शायद इन मां बाप को मालूम ही नहीं है कि सरकार ने उनके मासूमों के लिये ये व्यवस्था की है, या फिर सरकार फेल है, जो इन माता पिता तक ये संदेश नहीं पहुंचा पा रही है, कि स्कूल बच्चों को भेजें, यहां पैसा नहीं लगेगा।
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