बैटरी की आंतरिक संरचना को समझिए
इस मामले में आईटी एक्सपर्ट गौरव वार्ष्णेय का कहना है कि बैटरी फटने के ज्यादातर मामले स्मार्टफोन में आते हैं। लेकिन इससे पहले बैटरी के स्ट्रक्चर को समझिए। आमतौर पर स्मार्टफोन में लिथियम बैटरी (Lithium Battery) का प्रयोग होता है। लिथियम बैटरी में दो इलेक्ट्रोड (Electrode) होते हैं। एक कैथोड, इसमें लिथियम भरा होता है और दूसरा एनोड कहलाता है। कैथोड में पॉजिटिव चार्ज वाले आयन और इलेक्ट्रोड एनोड पर नेगेटिव चार्ज वाले आयन होते हैं। दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच रासायनिक पदार्थों का एक मिश्रण होता है जिसे इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं। इसे कैथोड और एनोड के बीच में दीवार के रूप में एक सेपरेटर लगाया जाता है ताकि ये मिल न सकें। इन दोनों का मिलना बेहद खतरनाक स्थिति होती है।
इस मामले में आईटी एक्सपर्ट गौरव वार्ष्णेय का कहना है कि बैटरी फटने के ज्यादातर मामले स्मार्टफोन में आते हैं। लेकिन इससे पहले बैटरी के स्ट्रक्चर को समझिए। आमतौर पर स्मार्टफोन में लिथियम बैटरी (Lithium Battery) का प्रयोग होता है। लिथियम बैटरी में दो इलेक्ट्रोड (Electrode) होते हैं। एक कैथोड, इसमें लिथियम भरा होता है और दूसरा एनोड कहलाता है। कैथोड में पॉजिटिव चार्ज वाले आयन और इलेक्ट्रोड एनोड पर नेगेटिव चार्ज वाले आयन होते हैं। दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच रासायनिक पदार्थों का एक मिश्रण होता है जिसे इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं। इसे कैथोड और एनोड के बीच में दीवार के रूप में एक सेपरेटर लगाया जाता है ताकि ये मिल न सकें। इन दोनों का मिलना बेहद खतरनाक स्थिति होती है।
ये है बैटरी फटने के कारण
1. जब कैथोड और एनोड दोनों इलेक्ट्रोड मिलते हैं तो सारी ऊर्जा इनसे निकलकर इलेक्ट्रोलाइट में जाने लगती है। ऐसे में बैटरी में गर्मी बढ़ने लगती है और कई तरह की गैसें बनती हैं। इससे गर्मी और बढ़ जाती है। इस स्थिति में कई बार फोन शट डाउन हो जाता है तो कई बार उसकी बैटरी फटने या आग लगने के मामले सामने आते हैं।
1. जब कैथोड और एनोड दोनों इलेक्ट्रोड मिलते हैं तो सारी ऊर्जा इनसे निकलकर इलेक्ट्रोलाइट में जाने लगती है। ऐसे में बैटरी में गर्मी बढ़ने लगती है और कई तरह की गैसें बनती हैं। इससे गर्मी और बढ़ जाती है। इस स्थिति में कई बार फोन शट डाउन हो जाता है तो कई बार उसकी बैटरी फटने या आग लगने के मामले सामने आते हैं।
2. ओवरचार्जिंग भी बैटरी फटने का एक कारण हो सकता है। ओवरचार्जिंग से भी कैथोड से एनोड पर जरूरत से ज्यादा लिथियम आयन पहुंच जाते हैं। एक साइड में इकट्ठा हुए ज्यादा लिथियम आयनों के कारण बैटरी भी फट सकती है।
3. कई बार चार्जिंग पर लगे फोन का इस्तेमाल करने से भी बैटरी फटने के मामले सामने आ सकते हैं। हालांकि तमाम एक्सपर्ट इसको वजह मानने से इंकार करते हैं। तमाम एक्सपर्ट का मानना है कि यदि आप मोबाइल में लोकल बैटरी का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर लोकल चार्जर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसे मामले सामने आ सकते हैं। फिर भी हिदायत के तौर पर ऐसा न करने की सलाह दी जाती है।
बचाव के लिए बरतें ये सावधानियां
— मोबाइल का सीमित इस्तेमाल करें।
— मोबाइल फोन को कभी तकिये के नीचे रखकर न सोएं।
— चार्ज करते समय भी मोबाइल को बिस्तर या कपड़ों के पास न रखें।
— मोबाइल को रातभर चार्ज न करें।
— लोकल बैटरी या चार्जर का इस्तेमाल न करें।
— मोबाइल की रिपेयरिंग लोकल शॉप पर न करवाएं। हमेशा सर्विस सेंटर पर करवाएं।
— मोबाइल चार्ज करते हुए धूप में न रखें।
— चार्जिंग के दौरान इसका प्रयोग न करें।
— गाड़ियों में लगे मोबाइल चार्जिंग एडॉप्टर का प्रयोग करने से बचें।
— सस्ते पावर बैंक का इस्तेमाल न करें।
— मोबाइल का सीमित इस्तेमाल करें।
— मोबाइल फोन को कभी तकिये के नीचे रखकर न सोएं।
— चार्ज करते समय भी मोबाइल को बिस्तर या कपड़ों के पास न रखें।
— मोबाइल को रातभर चार्ज न करें।
— लोकल बैटरी या चार्जर का इस्तेमाल न करें।
— मोबाइल की रिपेयरिंग लोकल शॉप पर न करवाएं। हमेशा सर्विस सेंटर पर करवाएं।
— मोबाइल चार्ज करते हुए धूप में न रखें।
— चार्जिंग के दौरान इसका प्रयोग न करें।
— गाड़ियों में लगे मोबाइल चार्जिंग एडॉप्टर का प्रयोग करने से बचें।
— सस्ते पावर बैंक का इस्तेमाल न करें।