मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने कहा है कि वह पहली बार ताजमहल गए थे, लेकिन वहां पर दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने बकाया ताज देखने के लिए टिकट खरीदा था, जिसके बाद भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। उनका आरोप है कि सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि भगवा कपड़ और लोहे के धर्मदंड के कारण उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। परमहंस ने बताया कि ताजमहल परिसर में हमारे साथ हुए व्यवहार को देख मौके पर मौजूद लोग भी नाराज हो गए।
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अयोध्या के पुजारी राजू दास ने कहा- महाराष्ट्र में शिवसेना ने किया धर्मांतरण शिष्य से मोबाइल छीनकर फोटो डिलीट करने का भी आरोप घटना शाम साढ़े पांच बजे की बताई जा रही है। सुरक्षा कर्मियों ने परमहंस को ताज के प्रवेश द्वार तक जाने वाले गोल्फ कार्ट में बिठाया था। बताया जा रहा है कि परमहंस के साथ उनका सरकारी गनर भी था। टिकट खरीदने के बाद उसके पैसे लौटा दिए गए। आरोप है कि परमहंस के शिष्य ने फोटो खींचने का प्रयास किया तो मोबाइल छीनकर फोटो डिलीट कर दी।
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राम मंदिर की तरह ही होगा अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा धार्मिक वेशभूषा में जाने पर नहीं है प्रतिबंध इस मामले में पुरातत्व विभाग के सुप्रिटेंडेंट आरके पटेल का कहना है कि उन्होंने टिकट चेक करने वालों से बात की है, लेकिन उन्हें कुछ नहीं पता। इस संबंध में सिक्योरिटी स्टाफ से भी बात की है। वह खुद साइट पर जाकर सीसीटीवी फुटेज चेक करेंगे। उन्होंने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने उनसे लोहे का डंडा वहीं रखने को कहा था, लेकिन वह तैयार नहीं हुए। उन्होंने बताया कि किसी भी धार्मिक वेशभूषा, टोपी या कुछ लिखे हुए अंगवस्त्र पहनकर ताजमहल जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।