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पत्रिका: क्या चाहता है एक सैनिक।
कर्नल जीएम खान : एक सैनिक चाहता है कि अगर मौत हो तो युद्ध के मैदान में हो। हालांकि युद्ध किसी को कुछ देता नहीं है। नुकसान दोनों ओर से होता है, जीतने वाला का भी और हारने वाले का भी। फिर भी सैनिक धर्म निभाते हुए यदि सैनिक वीरगति को प्राप्त होता है और झंडे के नीचे आता है, तो उसके लिए गौरव की बात होती है।
कर्नल जीएम खान : एक सैनिक चाहता है कि अगर मौत हो तो युद्ध के मैदान में हो। हालांकि युद्ध किसी को कुछ देता नहीं है। नुकसान दोनों ओर से होता है, जीतने वाला का भी और हारने वाले का भी। फिर भी सैनिक धर्म निभाते हुए यदि सैनिक वीरगति को प्राप्त होता है और झंडे के नीचे आता है, तो उसके लिए गौरव की बात होती है।
पत्रिका: परिवार के बारे में क्या सोचते हैं।
कर्नल जीएम खान: जब सेना में जाते हैं, तो उसी समय सैनिक और परिवार दिमागी तौर पर तैयार हो जाते हैं, कि हम देश के लिए हैं।
कर्नल जीएम खान: जब सेना में जाते हैं, तो उसी समय सैनिक और परिवार दिमागी तौर पर तैयार हो जाते हैं, कि हम देश के लिए हैं।
पत्रिका: Kargil War के दौरान कहां पोस्टिंग थी।
कर्नल जीएम खान: हमारी फौजे दो हिस्सों में बंटी होती हैं, एक होती हैं फील्ड में और एक होती हैं पीस में। उस समय मैं पीस में आगरा में ही था। 1999 में जब युद्ध हुआ, तो आगरा में ही था। आदेश मिला क्योंकि पैराशूट रेजीमेंट है, हम हमेशा तैयार रहते हैं। अगर व्यापक युद्ध होता है, तो हमारी कार्रवाई दुश्मन के इलाके में जाकर होगी। बाद में पता चला कि व्यापक रूप नहीं लेगी और हम पैरा वाले हैं, जो लाट टोपी पहनते हैं। लाल शैतान के नाम से जाने जाते हैं। इसलिए हमारा वहां पहुंचना ही दुश्मन का मनोबल गिराने के बराबर होता है। हम पहुंचे तो हमारे सैनिकों का मनोबल ऊंचा हुआ।
कर्नल जीएम खान: हमारी फौजे दो हिस्सों में बंटी होती हैं, एक होती हैं फील्ड में और एक होती हैं पीस में। उस समय मैं पीस में आगरा में ही था। 1999 में जब युद्ध हुआ, तो आगरा में ही था। आदेश मिला क्योंकि पैराशूट रेजीमेंट है, हम हमेशा तैयार रहते हैं। अगर व्यापक युद्ध होता है, तो हमारी कार्रवाई दुश्मन के इलाके में जाकर होगी। बाद में पता चला कि व्यापक रूप नहीं लेगी और हम पैरा वाले हैं, जो लाट टोपी पहनते हैं। लाल शैतान के नाम से जाने जाते हैं। इसलिए हमारा वहां पहुंचना ही दुश्मन का मनोबल गिराने के बराबर होता है। हम पहुंचे तो हमारे सैनिकों का मनोबल ऊंचा हुआ।
पत्रिका: युद्ध को लड़ना कितना कठिन था।
कर्नल जीएम खान: आम नागरिक की भाषा में बोलें, तो वाकई कठिन होगा, लेकिन जैसा कि पहले बताया कि हम दिमागी तौर पर तैयार होते हैं। हमारे लिए वहां दो लड़ाई थीं, एक कुदरत के साथ, वहां के हालात, वहां की बनावट अनुकूल नहीं था। वहीं दूसरा दुश्मन, जो उंचाई पर बैठा था।
कर्नल जीएम खान: आम नागरिक की भाषा में बोलें, तो वाकई कठिन होगा, लेकिन जैसा कि पहले बताया कि हम दिमागी तौर पर तैयार होते हैं। हमारे लिए वहां दो लड़ाई थीं, एक कुदरत के साथ, वहां के हालात, वहां की बनावट अनुकूल नहीं था। वहीं दूसरा दुश्मन, जो उंचाई पर बैठा था।
पत्रिका: कहां चूक हुई, जो पाकिस्तान ने हमारी पोस्ट पर कब्जा किया।
कर्नल जीएम खान: ये चूक नहीं, ये था आपसी विश्वास। आमतौर पर जब विश्वास है कि जब एक संधि हो गई, कि सर्दियां इतनी हैं, तो आप भी खाली करो, हम भी खाली करें और गर्मी में आकर वापस कब्जा कर लें। पाकिस्तान ने ये क्लेम नहीं किया, कि हमने कब्जा किया है। पाकिस्तान ने कहा कि दूसरे लोगों ने ये कब्जा किया। हम तो खाली करके बैठ गए थे, जबकि ऐसा नहीं था, हमें इसके सबूत मिले, कि पाकिस्तानी सेना ने ही उन लोगों को आगे रखा और पूरा उस पर कब्जा कराया था।
कर्नल जीएम खान: ये चूक नहीं, ये था आपसी विश्वास। आमतौर पर जब विश्वास है कि जब एक संधि हो गई, कि सर्दियां इतनी हैं, तो आप भी खाली करो, हम भी खाली करें और गर्मी में आकर वापस कब्जा कर लें। पाकिस्तान ने ये क्लेम नहीं किया, कि हमने कब्जा किया है। पाकिस्तान ने कहा कि दूसरे लोगों ने ये कब्जा किया। हम तो खाली करके बैठ गए थे, जबकि ऐसा नहीं था, हमें इसके सबूत मिले, कि पाकिस्तानी सेना ने ही उन लोगों को आगे रखा और पूरा उस पर कब्जा कराया था।