scriptफतेहपुर सीकरीः अकबर के ख्वाबों की नगरी में जनता के ख्वाब आज भी अधूरे | Lok Sabha Election 2019 special story on Fatehpur Sikri | Patrika News

फतेहपुर सीकरीः अकबर के ख्वाबों की नगरी में जनता के ख्वाब आज भी अधूरे

locationआगराPublished: Mar 29, 2019 04:47:39 pm

फतेहपुर सीकरी में लोकसभा चुनाव 2019 बेहद खास होने जा रहा है।

Fatehpur Sikri

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आगरा। मुगल बादशाह अकबर के ख्वाबों की नगरी कहे जाने वाले फतेहपुर सीकरी में लोकसभा चुनाव 2019 बेहद खास होने जा रहा है। बड़ी बात ये है कि यहां ग्लैमर का नहीं, बल्कि नेताओं का जलवा होता है। बॉलीवुड की कई हस्तियों ने यहां की सड़कों पर घूमकर जनता को लुभाने का प्रयास किया, लेकिन जनता ने उसे ही अपना नेता बनाया, जो राजनीति का धुरंधर है, फिर भी फतेहपुर सीकरी की जनता के ख्वाब अधूरे हैं। पढ़िये पत्रिका की स्पेशल रिपोर्ट।
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2009 में हुआ इस सीट का उदय
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट का उदय वर्ष 2009 में हुआ। फतेहपुर सीकरी मिश्रित आबादी वाला लोकसभा मानी जाती है। फतेहपुर सीकरी से लेकर बाह और चम्बल के बीहड़ों तक का 16,92,963 मतदाता सांसद का भाग्य तय करते हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में मुद्दे बहुत हैं। दिन ब दिन गहराती जा रही पेयजल समस्या हो या फिर चम्बल के बीहड़ों में आवागमन की।
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पहली बार बसपा को मिली जीत
पहली बार में यहां से बसपा सुप्रीमो मायावती ने सीमा उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया। इस सीट को जीतने के लिये कांग्रेस ने ग्लैमर का तड़का लगाते हुये राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा। जनता पर राज बब्बर का जादू न चला सका। सीमा उपाध्याय को जीत मिली, तो वहीं राज बब्बर दूसरे स्थान पर रहे। भाजपा प्रत्याशी राजा अरिदमन सिंह को तीसरा स्थान मिला।
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मोदी लहर में बसपा को मिली बड़ी हार
लोकसभा चुनाव 2014 का चुनाव बेहद रोमांचक रहा। भाजपा ने बसपा प्रत्याशी सीमा उपाध्याय के सामने चौधरी बाबूलाल को चुनाव मैदान में उतारा। इस बीच अमर सिंह रालोद के टिकट पर इस लोकसभा सीट से मैदान में आये, तो ये चुनाव और भी रोमांचक हो गया। अमर सिंह ने यहां फिल्मी हस्तियों के सहारे जीत की राह को आसान बनाने का प्रयास किया। बॉलीवुड स्टार श्रीदेवी भी अमर सिंह के समर्थन में वोट मांगने आईं। लेकिन चुनाव का परिणाम चौंकाने वाला रहा। भाजपा प्रत्याशी चौधरी बाबूलाल ने यहां से बड़ी जीत दर्ज की।
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पांच विधानसभा सब पर बीजेपी का कब्जा
फतेहपुर सीकरी के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद और बाह विधानसभा सीट शामिल है। 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव यहां पांचों सीटों पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी।

फतेहपुर सीकरी से 2014 का चुनाव परिणाम
चौधरी बाबूलाल भाजपा 426589
सीमा उपाध्याय बसपा 253483
रानी पक्षालिका सपा 213397
अमर सिंह लोकदल 24185

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फतेहपुर सीकरी
फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या पेयजल और सिंचाई की है। राजस्थान की सीमा से लगा होने के कारण दिनों दिन भूजल स्तर गिरता जा रहा है। यूं तो यहां पर्यटक आते हैं, लेकिन लपकों ने बदनाम कर रखा है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी लपकों की समस्या दूर नहीं हुई है। पर्यटकों के साथ ठगी और बदसलूकी आए दिन होती रहती हैं। पर्यटन के विकास के लिए कुछ खास नहीं किया जा सका है।
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आगरा ग्रामीण और फतेहाबाद
आगरा ग्राणीम विधानसभा क्षेत्र आगरा शहर के चारों ओर से घेरे हुए है। पहले यह दयालबाग विधानसभा क्षेत्र कहलाता था। आगरा ग्रामीण इलाके में भी किसान बहुतायत में रहते हैं। शहरी क्षेत्र से सटा होने के चलते शहर का भी प्रभाव है। जो गांव और मोहल्ले शहरी क्षेत्र से लगे हुए हैं, उनकी ओर कोई सांसद ध्यान नहीं देता है। फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र बाह के रास्ते में हैं। उत्तर प्रदेश में किसानों की जो समस्याएं हैं, वहीं यहां पर हैं।
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बाह में हांफ रही जिंदगी
फतेहपुर सीकरी लोकसभा का ऐरिया बेहद बड़ा है, जो बाह के बीहड़ों में जाकर समाप्त होता है। बाह की बात करें, तो आजादी के बाद से अब तक ये क्षेत्र विकास की राह देख रहा है। यमुना की तलहटी में बसे बाह के गांव सुनसार, बाग गुढ़ियाना और बुढैरा गांव की बात हो या चंबल के बीहड़ में बसे मऊ की मढ़ैया, पुरा डाल और गुढ़ा गांव की। यहां बीहड़ की पगडंडी पर जिंदगी हांफ जाती है। लोग बताते हैं कि तीन साल में इलाज के अभाव में सुनसार गांव में 12 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं बाह के दो गांव कलियानपुर भरतार और विक्रमपुर के लोगों की जिंदगानी नाव के भरोसे है। लोग घर से खेतों तक पहुंचने के लिए नाव से यमुना नदी पार करते हैं। कलियानपुर भरतार में तो मतदान के लिए पोलिंग पार्टियां भी नाव से ही यमुना पार कर पहुंचती है।
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खेरागढ़ विधानसभा का दर्द
फतेहपुर सीकरी के खेरागढ़ विधानसभा की बात की जाये, तो यहां का दर्द भी बेहद गंभीर है। राजस्थान की सीमा से सटे इस क्षेत्र में पत्थर खदान का काम होता है। इस क्षेत्र में वैसे तो कई समस्या हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है यहां के लोगों की घटती उम्र। उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने बताया कि पत्थर खदान का काम करने वाले यहां के श्रमिकों की जिंदगी लगातार कम होती जा रही है। आलम ये है कि 40 वर्ष तक ही श्रमिक का जीवन रह गया है। कारण है कि इन श्रमिकों को सिलोकोसिस नाम का एक रोग हो जाता है। लम्बे समय से इन श्रमिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा की मांग चली आ रही है, लेकिन ये मुद्दा किसी सांसद के लिये खास नहीं बन सका।
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मुख्य मुद्दे
किसानों के लिए सिंचाई का पानी
नहरों का पानी टेल तक न पहुंचना
भूमिगत जलस्तर लगातर गिरना
टीटीएसपी (टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट) में भ्रष्टाचार
पर्यटन विकास न होना
लपकों की समस्या

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इनके बीच है मुुकाबला
यहां भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर और कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। गठबंधन प्रत्याशी श्रीभगवान उर्फ गुड्डू पंडित तीसरा कोण बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
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