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आगरा लोकसभा सीट का गणित, भाजपा कार्यकर्ता ने बतायी हकीकत

locationआगराPublished: Apr 06, 2019 07:58:26 am

यह एक भाजपा कार्यकर्ता का आकलन है। उसने बताया है कि एसपी सिंह बघेल को कहां अधिक ताकत लगानी चाहिए।

sp singh baghel

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आगरा। लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी की नाक का सवाल बन गई है आगरा लोकसभा सीट। यहां के सांसद और राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया का टिकट काटकर प्रो.एसपी सिंह बघेल को दिया गया है। लोकसभा चुना 2009 और 2014 की तुलना करें तो पाते हैं कि स्थितियां कुछ मामलों में ठीक हैं तो कुछ में खराब। एक भाजपा कार्यकर्ता ने अपने मन की बात लिखी है। आगरा लोकसभा सीट का गणित लिखा है। कुछ ऐसी बातें लिखी हैं जो भाजपा नेताओं को नागवार गुजर सकती हैं। यह भी बताया कि प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल किस क्षेत्र में दम लगाएं कि जीत मिले।
SP singh baghel
लोकसभा चुनाव 2009 का परिणाम

टोटल मतदान प्रतिशत ( 42.03 प्रतिशत)
भाजपा रामशंकर कठेरिया 2,03697 (31.48 प्रतिशत)
बसपा कुंवरचंद्र वकील 1,93982 (29.98) प्रतिशत
सपा रामजीलाल सुमन 1,41367 (21.85) प्रतिशत
कांग्रेस प्रभुदयाल कठेरिया 93373 (14.43) प्रतिशत

लोकसभा चुनाव 2014 का परिणाम
टोटल मतदान प्रतिशत ( 59.98 प्रतिशत)
भाजपा रामशंकर कठेरिया 5,83716 (54.53 प्रतिशत)
नारायण सिंह सुमन 2,83453 (26.48 प्रतिशत)
सपा महाराज सिंह धनगर 1,34708 (12.58 प्रतिशत)
कांग्रेस प्रभुदयाल कठेरिया 34834 (3.25 प्रतिशत)

मोदी की आँधी नहीं
इस समय 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोई आंधी नहीं है। यदि कोई ऐसा कहता है तो वह मोदी मीडिया का वक्तव्य होगा, निष्पक्ष का नहीं । 2014 में लगभग 60 फीसदी मतदान हुआ। 2009 के हिसाब से 2014 में सपा का वोट शेयर लगभग 22 से 12 पर आ गया यानि 2014 में 10 प्रतिशत वोट मोदी को मिला। इसी तरह से बसपा का लगभग 30 फीसदी वोटशेयर घटकर 26 पर आ गया यानि बसपा का 4 फीसद वोटशेयर मोदी को मिला। इसके बाद कांग्रेस की भी दुर्गति हुई। कांग्रेस 14 फीसद से घटकर सीधे 3 प्रतिशत पर आ गई और लगभग 11 फीसद वोट मोदी को मिल गया।
SP singh baghel
शहरी मतदाता यथावत

इस लिहाज से 2019 में चूंकि आंधी कोई नहीं है, ऐसे में अगर प्रत्याशी नहीं बदला जाता तो भाजपा सौ फीसद हार जाती। आगरा की सीट सिर्फ और सिर्फ प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को देहात की वजह से मिली है। शहर अपनी जगह सही है, डिस्टर्ब नहीं है। लिहाजा अब प्रो. बघेल को एत्मादपुर और जलेसर में दम लगानी होगी। तब शहर के गठबंधन के वोट की भरपाई होगी।
60 फीसदी मतदान मुश्किल

इस समय भाजपा का कोर वोटर नोटबंदी और जीएसटी की मंदी से थोड़ा परेशान है। 2017 में सरकार आने के बाद भ्रष्टाचार के मामल में कोई खास सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार हावी है। नकदी का संकट बना हुआ 2014 में कांग्रेस की सरकार के दौरान ऐसा नहीं था। इन परिस्थितियों में 60 फीसदी मतदान दिन में मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा है।
जलेसर और एत्मादपुर से आस

सपा-बसपा गठबंधन कमजोर नहीं है। अगर जाटव और यादव मुस्लिम संगठित होकर वोट कर गया तो आगरा से बघेल के बाद भी भाजपा के सामने मुश्किल खड़ी होगी। लिहाजा अब सारा का सारा दारोमदार प्रो. बघेल के सिर और माथे पर है कि वह अपनी वाकपटुता से एत्मादपुर और जलेसर से कितना वोट लाते हैं और गठबंधन को कितना डैंट लगाते है। आगरा लोकसभा में सिर्फ और सिर्फ दो विधानसभा क्षेत्र एत्मादपुर और आगरा उत्तर प्रो. बघेल के सर पर जीत का सेहरा बांधेगी। यह मेरा व्यक्तिगत आंकलन है। हर कोई इससे सहमत हो, यह भी जरूरी नहीं है।
-एक भाजपा कार्यकर्ता का आकलन

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