जिला पंचायत सदस्य मालामाल
जिला पंचायत आगरा में कुल 51 पंचायत सदस्य हैं। ये सदस्य पिछले दो साल से विकासकार्यों को लेकर पंचायत अध्यक्ष से गुहार लगा रहे थे। लेकिन पंचायत अध्यक्ष द्वारा एक साल तक सुनवाई नहीं की गई, ऐसा कुछ सदस्यों ने आरोप भी लगाया। जब छह महीने पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, तो जिला पंचायत की बैठक में करोड़ों रुपये के काम सदस्यों को दिए गए। कई सदस्यों को अतिरिक्त काम दिलाने का प्रलोभन भी दिया गया। इसके बाद अध्यक्ष पद पर भाजपा की नजरें गढ़ गईं। भाजपा ने अपनी गोटियां बिछाना शुरू कर दिया। सपा के पक्ष में अभी पूर्ण बहुमत है, ऐसा पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि और उनके पति राजपाल यादव कह रहे हैं। लेकिन, दूसरी ओर विरोधियों का कहना है कि उनके पक्ष में अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने की दम है।
जिला पंचायत आगरा में कुल 51 पंचायत सदस्य हैं। ये सदस्य पिछले दो साल से विकासकार्यों को लेकर पंचायत अध्यक्ष से गुहार लगा रहे थे। लेकिन पंचायत अध्यक्ष द्वारा एक साल तक सुनवाई नहीं की गई, ऐसा कुछ सदस्यों ने आरोप भी लगाया। जब छह महीने पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, तो जिला पंचायत की बैठक में करोड़ों रुपये के काम सदस्यों को दिए गए। कई सदस्यों को अतिरिक्त काम दिलाने का प्रलोभन भी दिया गया। इसके बाद अध्यक्ष पद पर भाजपा की नजरें गढ़ गईं। भाजपा ने अपनी गोटियां बिछाना शुरू कर दिया। सपा के पक्ष में अभी पूर्ण बहुमत है, ऐसा पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि और उनके पति राजपाल यादव कह रहे हैं। लेकिन, दूसरी ओर विरोधियों का कहना है कि उनके पक्ष में अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने की दम है।
सदस्यों की बारी फिर से
जिला पंचायत सदस्यों ने जब पहली बार चुनाव लड़ा था और अध्यक्ष पद के लिए मतदान किया था। उस समय उन्हें बड़े बड़े तोहफे दिए गए थे। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि एक एक सदस्य पर दस लाख रुपये से अधिक का खर्चा आया था। महंगी से महंगी कार गिफ्ट की गईं थीं। इसके बाद जब से सूबे में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपाईयों की नजरें टेड़ी हुई हैं। तब से सदस्यों की खातिरदारी और बढ़ गई। पिछले महीने जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल यादव ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पांच सितारा होटल में सदस्यों के साथ डिनर कर एक बैठक की थी। वहीं कई सदस्यों को दिल्ली जयपुर की यात्रा पर भेजा था। लेकिन विरोधियों ने बड़ी बोली लगाकर उन्हें अपनी ओर कर लिया। ऐसा सूत्र बताते हैं। अब जब अविश्वास प्रस्ताव के लिए 26 सितंबर को मतदान होना है, तो एक बार से इनकी पौ बारह हो गई है। सपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुशल यादव के लिए कड़े विरोध का सामना किया था। अब कुशल की कुर्सी बचती है या जाती है, ये 26 सितंबर तय करेगा।
जिला पंचायत सदस्यों ने जब पहली बार चुनाव लड़ा था और अध्यक्ष पद के लिए मतदान किया था। उस समय उन्हें बड़े बड़े तोहफे दिए गए थे। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि एक एक सदस्य पर दस लाख रुपये से अधिक का खर्चा आया था। महंगी से महंगी कार गिफ्ट की गईं थीं। इसके बाद जब से सूबे में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपाईयों की नजरें टेड़ी हुई हैं। तब से सदस्यों की खातिरदारी और बढ़ गई। पिछले महीने जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल यादव ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पांच सितारा होटल में सदस्यों के साथ डिनर कर एक बैठक की थी। वहीं कई सदस्यों को दिल्ली जयपुर की यात्रा पर भेजा था। लेकिन विरोधियों ने बड़ी बोली लगाकर उन्हें अपनी ओर कर लिया। ऐसा सूत्र बताते हैं। अब जब अविश्वास प्रस्ताव के लिए 26 सितंबर को मतदान होना है, तो एक बार से इनकी पौ बारह हो गई है। सपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुशल यादव के लिए कड़े विरोध का सामना किया था। अब कुशल की कुर्सी बचती है या जाती है, ये 26 सितंबर तय करेगा।