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Big News: महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे फेफड़ों के कैंसर के मामले, कारण जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे…

locationआगराPublished: Dec 29, 2018 04:04:17 pm

Submitted by:

suchita mishra

जानिए फेफड़ों के कैंसर का कारण और बचाव के तरीके।

lung cancer

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आगरा। आजकल महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। महिलाएं चिड़चिड़ी हो रही हैं। इसका कारण सुनकर आप चौंक जाएंगे। जी हां कारण है रसोई में खाना पकाते समय छौंक लगाना। ये कहना है बॉयोमेडिकल रिसर्च सेंटर, ग्वालियर के निदेशक डॉ. संत कुमार भटनागर का। डॉ. भटनागर आगरा के होटल क्लार्क्स शीराज में सेंट जोंस कॉलेज की तरफ से ‘रिसेंट एडवांसेज इन एन्वायरमेंटल प्रोटेक्शन’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में आए थे। इस दौरान उन्होंने अपना सर्वे लोगों से साझा किया।
चार कारक होते जिम्मेदार
डॉ. संत कुमार भटनागर ने बताया कि उन्होंने 3,000 घरों और 3,00,000 कैंसर मरीजों पर काम करते हुए पाया कि जिन घरों में रसोई व्यवस्थित नहीं होती, जहां एग्जॉस्ट नहीं लगा होता वहां महिलाओं को फेफड़े संबन्धी कैंसर व अन्य समस्याएं होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। इसका कारण है कि रसोई में मौजूद चार कारक हैं, जो कैंसर की स्थिति उत्पन्न करते हैं। गैस, टाइल्स, गीला वेस्ट मैटेरियल और गैस चूल्हा ऊंचाई पर रखना।
ऐसे बनती है कैंसर की स्थिति
दरअसल गैस जलाते ही रसोई का तापमान बढ़ जाता है। रसोई का तापमान 22-23 डिग्री सेंटीग्रेड से बढ़कर 35 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है। इस दौरान प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाली गर्मी नमी बनाती है और उस नमी से रसोई का वातावरण कैंसर कारक बन जाता है। कुकर में दाल उबलने के बाद महिलाएं प्याज और लहसुन का छौंका लगाती है। इस दौरान तेल का तापमान 150 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। इतने उच्च तापमान पर प्याज डालने पर पॉलिसाइक्लिक एयरोमेट्रिक हाइड्रोकार्बन बनता है। छौंक को दाल में डालने पर तापक्रम 80 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है।
35 डिग्री तापमान से अधिक सेहत के लिए घातक
डॉ. संत कुमार भटनागर के मुताबिक हमारा शरीर 33 से 35 डिग्री तापमान को आसानी से झेलता है, लेकिन इससे उच्च तापमान से चिड़चिड़ाहट पैदा होती है। धीरे धीरे सूंघने की क्षमता कम होने लगती है और इससे जुकाम रहने लगता है जो आगे चलकर कफ बनता है और फेफड़ों में इसका जमाव होकर फेफड़े संबन्धी समस्याएं पैदा होती हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।
बचाव के लिए ये सावधानियां जरूरी
डॉ. संत कुमार का कहना है कि किसी भी महिला को लगातार लंबे समय तक रसोई में काम करने से परहेज करना चाहिए। इस मामले में घर के अन्य सदस्यों की मदद लें। किचेन में एग्जॉस्ट जरूर लगवाएं। टाइल्स के स्थान पर किचेन में नेचुरल प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें, जिससे रसोई का ताप कम रहे। डॉ. संत कुमार भटनागर का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हर घर में एग्जॉस्ट लगवाने की मांग की है।
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