संक्रांति को माना जाता है देवदान का दिन
Makar Sankranti के दिन दान का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन देवतागण छह माह की नींद के बाद जागते हैं। देव जागरण के इस अवसर पर किए गए दान का सौ गुना फल होता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति को देवदान का दिन भी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन स्नान, दान, जप, तप या किसी अनुष्ठान को करने का भी बहुत बड़ा पुण्य मिलता है।
Makar Sankranti के दिन दान का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन देवतागण छह माह की नींद के बाद जागते हैं। देव जागरण के इस अवसर पर किए गए दान का सौ गुना फल होता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति को देवदान का दिन भी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन स्नान, दान, जप, तप या किसी अनुष्ठान को करने का भी बहुत बड़ा पुण्य मिलता है।
तिल व खिचड़ी दान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन उड़द की दाल की खिचड़ी और तिल व गुड़ से निर्मित चीजों का चिशेष रूप से दान किया जाता है। दरअसल मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर राशि के स्वामी शनिदेव होते हैं। शनिदेव सूर्य देव के पुत्र हैं। माना जाता है संक्रांति के दिन सूर्य देव अपनी नाराजगी भुलाकर पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। इसलिए इसे बेहद शुभ समय माना जाता है। इस शुभ अवसर पर सूर्य व शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा चीजों को दान किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार तेल शनिदेव का और गुड़ सूर्यदेव का पसंदीदा खाद्य पदार्थ है। इसलिए तिल व तेल से निर्मित लड्डुओं के दान और इनके सेवन का विशेष महत्व है। इसके अलावा काली वस्तुएं शनिदेव को समर्पित मानी जाती हैं, वहीं चावल भगवान सूर्य को पसंद हैं, इसलिए संक्रांति के दिन काली उड़द की दाल की खिचड़ी के दान व सेवन किया जाता है। इसके अलावा जरूरतमंदों की सेवा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इस दिन कंबल, कपड़े व अन्य जरूरत की चीजें भी दान की जाती हैं।
मकर संक्रांति के दिन उड़द की दाल की खिचड़ी और तिल व गुड़ से निर्मित चीजों का चिशेष रूप से दान किया जाता है। दरअसल मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर राशि के स्वामी शनिदेव होते हैं। शनिदेव सूर्य देव के पुत्र हैं। माना जाता है संक्रांति के दिन सूर्य देव अपनी नाराजगी भुलाकर पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। इसलिए इसे बेहद शुभ समय माना जाता है। इस शुभ अवसर पर सूर्य व शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा चीजों को दान किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार तेल शनिदेव का और गुड़ सूर्यदेव का पसंदीदा खाद्य पदार्थ है। इसलिए तिल व तेल से निर्मित लड्डुओं के दान और इनके सेवन का विशेष महत्व है। इसके अलावा काली वस्तुएं शनिदेव को समर्पित मानी जाती हैं, वहीं चावल भगवान सूर्य को पसंद हैं, इसलिए संक्रांति के दिन काली उड़द की दाल की खिचड़ी के दान व सेवन किया जाता है। इसके अलावा जरूरतमंदों की सेवा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इस दिन कंबल, कपड़े व अन्य जरूरत की चीजें भी दान की जाती हैं।
संक्रांति के शुभ मुहूर्त संक्रांति काल – 15 जनवरी 07:19 बजे पुण्यकाल – 07:19 से 12:31 बजे तक महापुण्य काल – 07:19 से 09:03 बजे तक संक्रांति स्नान – 15 जनवरी 2020 प्रात:काल