त्रेतायुग से हुई थी पतंग उड़ाने की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि Makar Sankranti के दिन पतंग उड़ाने की प्रथा युगों पुरानी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले भगवान राम ने अपने बाल्यकाल में अपनी मित्र मंडली व भगवान हनुमान के साथ पतंग उड़ाई थी। तभी से संक्रांति के दिन पतंगबाजी की प्रथा शुरू हुई। भगवान श्रीराम द्वारा पतंग उड़ाने का जिक्र तमिल रामायण तन्दनानरामायण व तुलसीदास रचित राम चरित मानस में भी किया गया है। तुलसीदास ने भगवान श्रीराम के बाल्यकाल का वर्णन करते हुए लिखा है…
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि Makar Sankranti के दिन पतंग उड़ाने की प्रथा युगों पुरानी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले भगवान राम ने अपने बाल्यकाल में अपनी मित्र मंडली व भगवान हनुमान के साथ पतंग उड़ाई थी। तभी से संक्रांति के दिन पतंगबाजी की प्रथा शुरू हुई। भगवान श्रीराम द्वारा पतंग उड़ाने का जिक्र तमिल रामायण तन्दनानरामायण व तुलसीदास रचित राम चरित मानस में भी किया गया है। तुलसीदास ने भगवान श्रीराम के बाल्यकाल का वर्णन करते हुए लिखा है…
‘राम इक दिन चंग उड़ाई।
इन्द्रलोक में पहुंची जाई।।’ अर्थात एक दिन भगवान राम ने पतंग उड़ाई जो इंन्द्रलोक में पहुंच गई। उस पतंग को देखकर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हुई और पतंग उड़ाने वाले के दर्शन के बारे में सोचने लगी। उसने पतंग को ये सोचकर हाथ में पकड़ लिया कि पतंग उड़ाने वाला इसे लेने जरूर आएगा। जब काफी देर तक भगवान राम को पतंग आकाश में दिखाई नहीं दी तो उन्होंने हनुमान जी को पतंग ढूंढने के लिए भेजा। हनुमान जी पतंग ढूंढते हुए इंद्रलोक पहुंच गए। वहां उन्होंने स्त्री से पतंग की मांग की तो उसने पतंग उड़ाने वाले के बारे में पूछा। तब हनुमानजी ने भगवान राम का नाम बताया। इस पर जयंत की पत्नी ने कहा कि जब उसे पतंग उड़ाने वाला दर्शन देगा, तभी वो पतंग वापस देगी। इसके बाद हनुमान जी पृथ्वी लोक आए और भगवान राम को स्त्री का संदेश दिया। यह सुनकर रामजी ने वनवास के दौरान चित्रकूट में स्त्री को दर्शन देने की बात कही और अपना संदेशा सुनाने हनुमानजी को वापस इंद्रलोक भेजा। हनुमान जी का संदेशा सुनते ही स्त्री ने पतंग वापस कर दी।
इन्द्रलोक में पहुंची जाई।।’ अर्थात एक दिन भगवान राम ने पतंग उड़ाई जो इंन्द्रलोक में पहुंच गई। उस पतंग को देखकर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हुई और पतंग उड़ाने वाले के दर्शन के बारे में सोचने लगी। उसने पतंग को ये सोचकर हाथ में पकड़ लिया कि पतंग उड़ाने वाला इसे लेने जरूर आएगा। जब काफी देर तक भगवान राम को पतंग आकाश में दिखाई नहीं दी तो उन्होंने हनुमान जी को पतंग ढूंढने के लिए भेजा। हनुमान जी पतंग ढूंढते हुए इंद्रलोक पहुंच गए। वहां उन्होंने स्त्री से पतंग की मांग की तो उसने पतंग उड़ाने वाले के बारे में पूछा। तब हनुमानजी ने भगवान राम का नाम बताया। इस पर जयंत की पत्नी ने कहा कि जब उसे पतंग उड़ाने वाला दर्शन देगा, तभी वो पतंग वापस देगी। इसके बाद हनुमान जी पृथ्वी लोक आए और भगवान राम को स्त्री का संदेश दिया। यह सुनकर रामजी ने वनवास के दौरान चित्रकूट में स्त्री को दर्शन देने की बात कही और अपना संदेशा सुनाने हनुमानजी को वापस इंद्रलोक भेजा। हनुमान जी का संदेशा सुनते ही स्त्री ने पतंग वापस कर दी।
ये है वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक दृष्टि से मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाना सेहत के लिए विशेष रूप से लाभदायी माना गया है। दरअसल मकर संक्रांति एक खगोलीय घटना है। संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है और छह माह तक रहता है। सर्दी के मौसम में उत्तरायण के सूर्य की धूप के संपर्क में रहने से शरीर के तमाम रोग स्वत: नष्ट हो जाते हैं। उत्तरायण में सूर्य की गर्मी शीत के प्रकोप व शीत के कारण होने वाले रोगों को समाप्त करने की क्षमता रखती है। यही कारण है कि कड़ाके की सर्दी का प्रकोप मकर संक्रांति के दिन से हल्का पड़ना शुरू हो जाता है। ऐसे में पतंग उड़ाने की प्रथा के चलते जब लोग घर की छतों पर जाकर पतंग उड़ाते हैं तो सूरज की किरणें उनके शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाना सेहत के लिए विशेष रूप से लाभदायी माना गया है। दरअसल मकर संक्रांति एक खगोलीय घटना है। संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है और छह माह तक रहता है। सर्दी के मौसम में उत्तरायण के सूर्य की धूप के संपर्क में रहने से शरीर के तमाम रोग स्वत: नष्ट हो जाते हैं। उत्तरायण में सूर्य की गर्मी शीत के प्रकोप व शीत के कारण होने वाले रोगों को समाप्त करने की क्षमता रखती है। यही कारण है कि कड़ाके की सर्दी का प्रकोप मकर संक्रांति के दिन से हल्का पड़ना शुरू हो जाता है। ऐसे में पतंग उड़ाने की प्रथा के चलते जब लोग घर की छतों पर जाकर पतंग उड़ाते हैं तो सूरज की किरणें उनके शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं।