संघ चाहता है समय का दान शास्त्रीपुरम स्थित केशव शाखा पर बौद्धिद में उन्होंने कहा- त्याग की भावना हमारे अंदर बनी रहे, यह संघ से अधिक कोई नहीं सिखा सकता है। भीषण ठंड को धता बताकर, मन नहीं है, फिर भी घर से निकलते हैं। एक घंटा शाखा पर आते हैं। 24 घंटे में से एक घंटा समाज के लिए दो। यहां से त्याग शुरू होता है। समय की कीमत होती है। समय का दान बहुत बड़ा दन है, जो संघ समाज से अपेक्षा करता है। समय देने से हमारा शरीर, संगठन, समाज और देश मजबूत रहेगा।
यह भी पढ़ें हम हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति के लिए काम करते हैं, देखें वीडियो परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक तथ्य उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति का मूल आधार समर्पण और त्याग है। हमारी परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक तथ्य है। उत्सव मनाने की परंपरा है। काले तिल और गुड़ मिलकर लड्डू बनते हैं। काले तिल खाने में कड़वे और गुड़ मीठा होता है। जब दोनों मिल जाते हैं तो लड्डू हो जाता है। इसका सेवन करने से रक्त शुद्ध होता है और शक्ति प्राप्त होती है। इसी तरह समाज में कड़वे और मीठे स्वभाव के लोग होते हैं। दोनों में सांमजस्य जरूरी है। मकर संक्रांति में खिचड़ी का भी महत्व है। इन दिनों तक हर प्रकार का चावल और दाल घऱ में आ जाते है। नई फसल लहलहाती दिखाई पड़ती है।