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एक अप्रैल, 1934 में आगरा के बाजार भाव पर एक नजर
एक अप्रैल, 1934 में आगरा के बाजार भाव पर एक नजर
सोनाः 36 रुपया तोला गेहूः एक रुपया का 13 सेर उर्द की दालः एक रुपया का 13 सेर मूंग की दालः एक रुपया की 18 सेर घीः एक रुपया का 12 छटांक
चावलः सात रुपये मन चनाः एक रुपया का 20 सेर बूराः एक रुपया का चार सेर खटाईः 10 आना सेर सुपारीः एक रुपया की दो सेर बादामः एक रुपया सेर
राज मिस्त्रीः आठ आना प्रतिदिन बेलदारः पांच-छह आना प्रतिदिन सीमेन्ट की बोरीः दो रुपया पौने बारह आना ईंटः साढ़े दस रुपये हजार चूनाः सवा चार रुपये चक्की य़ह भी पढ़ें
शहीद के शव के साथ आगरा-दिल्ली हाईवे किया जाम, देखें तस्वीरें चीजें सस्ती होने के बाद भी संकट इतिहासकार राज किशोर राजे ने बताया कि इस तथ्य का उल्लेख कई पुस्तकों में किया गया है। उन्होंने बताया कि तब आगरा का बाजार भाव एक-एक साल तक स्थिर रहता था। आज की तरह रोज भाव नहीं बदलते थे। चीजें इतनी सस्ती होने के बाद भी लोगों के सामने संकट था, क्योंकि श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता था। जब मजदूर को पांच-छह आना मिलेंगे तो वह कहां से सस्ती चीजें खरीद सकता है।
यह भी पढ़ें प्लॉट की रजिस्ट्री कराने के नाम पर बाबू ने ली रिश्वत, वीडियो वायरल जेब घड़ी की कीमत उन्होंने बताया कि अंग्रेजी समय में अमीरों को जेब घड़ी की शौक था। यूं भी कह सकते हैं कि जिसके पास जेब घड़ी होती थी, उसे अमीर मान लिया जाता था। इस कारण जेब घड़ी की मांग अधिक होने के कारण मूल्य अधिक था। वेस्ट एंड वॉच कंपनी की जेब घड़ी दस रुपया पचास पैसा की मिलती थी।