वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि मार्गशीर्ष का सम्पूर्ण माह श्रद्धा एवं भक्ति से पूर्ण होता है।मार्गशीर्ष अमावस्या इस वर्ष 7 दिसंबर को रहेगी। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली में Pitru Dosh हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर जन्मकुंडली के नवम भाव में राहू वृश्चिक राशि में नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि को उपवास अवश्य रखना चाहिए। इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है। विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।
इस बार मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि 7 दिसम्बर को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। इस अमावस्या के दिन व्रत करते हुए, श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा की जाती है और जिसका प्राचीन वैदिक हिन्दू शास्त्रों में विशेष महत्व है, जो अमोघ फलदायी होती है। इस मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय काल में पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।