हर 40 सेकेंड में आत्महत्या
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी और नोडल मानसिक स्वास्थ्य डॉ. पीके शर्मा ने बताया कि विश्व में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष दस अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत हुई थी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक 40 सेकेण्ड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है।
उन्होंने बताया कि मानसिक बीमारी को ज्यादातर लोग छिपाते हैं। इतना ही नहीं मानसिक बीमारी को लोग भूत प्रेत बाधा समझ कर इलाज कराने के बजाये तांत्रिकों के चक्कर में पड़ जाते हैं, जबकि मानसिक बीमारी का इलाज सम्भव है। श्री शर्मा ने बताया कि मानसिक रोगी को अगर परिवार और समाज का पूरा सहयोग मिले तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग डिप्रेशन या अवसाद में जी रहे हैं, उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि अधिकतर अकेले में रहने वाले डिप्रेशन और अवसाद के चलते आत्महत्या कर लेते है। ऐसे लोगों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। मानसिक बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, चाहे वह स्कूल जाने वाला छात्र हो या फिर नवजवान हो। वर्तमान समय में बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। अभिभावक को चाहिए बच्चों पर ज्यादा दबाव न बनाएं। उनकी क्षमता के अनुसार ही उनसे कार्य लें। बच्चे को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करें।
दस अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए आगरा कालेज से सुभाष पार्क तक रैली निकाली जायेगी। इसके अलावा सीएमओ आफिस के सभागार में गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। 11 अक्टूबर को जिला अस्पताल में मानसिक रोगियों के लिये मानसिक स्वास्थ शिविर लगा कर मानसिक रोगों और तनाव से बचने के उपाय बताने के साथ-साथ उपचार भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्कूलों में मेंटल हेल्थ कैम्प के जरिये मनोचिकित्सकों द्वारा स्कूली बच्चों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के गुण बताए जाएंगे।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार
वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल मानसिक तनाव के चलते 8 लाख लोग आत्महत्या कर लेते है। 1 लाख पर 16.4 महिलायें और 26 पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं। इतना ही नहीं महिलाओं द्वारा आत्महत्या के मामले में भारत छठवें स्थान पर और पुरुषों के द्वारा आत्महत्या के मामलों में 22 वें स्थान पर है। पूरे विश्व में आत्महत्या के 65 प्रतिशत मामले 15 से 29 वर्ष की आयु वाले होते हैं।
मानसिक रोग कई प्रकार के होते है। जैसे बाइपोलर डिसआर्डर, अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया, पार्किंसन रोग, आटिज्म, डिस्लेक्सिया, डिप्रेशन, तनाव, चिन्ता, कमजोर याददाश्त, भूलने की बीमारी, डर, भ्रम, और मतिभ्रम आदि प्रकार है।
मानसिक बीमारी के लक्षण जैसे उदासी का अनुभव करना, ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता कम होना, अत्यधिक भय व चिन्ता होना, मनोदशा में परिवर्तन होना, दोस्तों और अन्य गतिविधियों से अलग होना, थकान और सोने में समस्याएं होना, वास्तविकता से अलग हटना, दैनिक समस्याओं से निपटने में असमर्थ होना, समस्याओं और लोगों के बारे में समझने में समस्या होना, शराब व नशीली दवाओं का सेवन, कामेच्छा सम्बन्धी बदलाव, हद से ज्यादा क्रोधित और हिंसक होना, आत्मघाती सोच का उपजना आदि कारण है।
मानसिक बीमारी को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। यदि किसी को मानसिक बीमारी है तो उसे तनाव को नियंत्रित करना होगा। आत्म सम्मान को बढ़ाना होगा। साथ ही शरीर में हो रहे बदलाव व संकेतों पर ध्यान देते हुए चिकित्सक से सम्पर्क करें, नियमित चिकित्सा पर ध्यान दे, पर्याप्त नींद ले, पौष्टिक आहार लें, नियमित व्यायाम करें, एक नियम बनाकर कर कार्य करने की कोशिश करें।