ऐसे रखें व्रत
मोक्षदा एकादशी के लिए दशमी की रात्रि के प्रारंभ से द्वादशी की सुबह तक व्रत रखें। एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद धूप, दीप और तुलसी से भगवान विष्णु के साथ कृष्ण जी की भी पूजा करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें। फिर आरती कर फल व प्रसाद चढ़ाएं। पूजा करने से पहले और स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। प्रसाद का वितरण करें।
मोक्षदा एकादशी के लिए दशमी की रात्रि के प्रारंभ से द्वादशी की सुबह तक व्रत रखें। एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद धूप, दीप और तुलसी से भगवान विष्णु के साथ कृष्ण जी की भी पूजा करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें। फिर आरती कर फल व प्रसाद चढ़ाएं। पूजा करने से पहले और स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। प्रसाद का वितरण करें।
व्रत कथा
चंपा नगरी में चारों वेदों के ज्ञाता राजा वैखानस रहा करते थे। वे बहुत ही प्रतापी और धार्मिक थे। उनकी प्रजा भी खुशहाल थी। लेकिन एक दिन राजा ने सपना देखा कि उनके पिता नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। ये सपना देख राजा अचानक उठ गए और सपने के बारे में पत्नी को बताया। इस पर पत्नी ने राजा को आश्रम जाने की सलाह दी। राजा आश्रम गए और वहां कई सिद्ध गुरुओं से मिले। सभी गुरु तपस्या में लीन थे। उन्हें देख राजा गुरुओं के समीप जाकर बैठ गए। राजा को देख पर्वत मुनि मुस्कुराए और आने का कारण पूछा। राजा ने बहुत ही दुखी मन से अपने सपने के बारे में उन्हें बताया। इस पर पर्वत मुनि राजा के सिर पर हाथ रखकर बोले ‘तुम एक पुण्य आत्मा हो, जो अपने पिता के दुख से इतने दुखी हो। तुम्हारे पिता को उनके कर्मों का फल मिल रहा है। उन्होंने तुम्हारी माता को तुम्हारी सौतेली माता के कारण बहुत यातनाएं दीं। इसी कारण वे पाप के भागी बने और अब नरक भोग रहे हैं।’ इस बात को जान राजा ने पर्वत मुनि से इस समस्या का हल पूछा। इस पर मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी के व्रत का पालन करने को कहा। राजा ने विधि पूर्वक व्रत किया और व्रत का पुण्य अपने पिता को अर्पण कर दिया। व्रत के प्रभाव से राजा के सभी कष्ट दूर हो गए और उनके पिता को नरक से मुक्ति मिल गई।
चंपा नगरी में चारों वेदों के ज्ञाता राजा वैखानस रहा करते थे। वे बहुत ही प्रतापी और धार्मिक थे। उनकी प्रजा भी खुशहाल थी। लेकिन एक दिन राजा ने सपना देखा कि उनके पिता नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। ये सपना देख राजा अचानक उठ गए और सपने के बारे में पत्नी को बताया। इस पर पत्नी ने राजा को आश्रम जाने की सलाह दी। राजा आश्रम गए और वहां कई सिद्ध गुरुओं से मिले। सभी गुरु तपस्या में लीन थे। उन्हें देख राजा गुरुओं के समीप जाकर बैठ गए। राजा को देख पर्वत मुनि मुस्कुराए और आने का कारण पूछा। राजा ने बहुत ही दुखी मन से अपने सपने के बारे में उन्हें बताया। इस पर पर्वत मुनि राजा के सिर पर हाथ रखकर बोले ‘तुम एक पुण्य आत्मा हो, जो अपने पिता के दुख से इतने दुखी हो। तुम्हारे पिता को उनके कर्मों का फल मिल रहा है। उन्होंने तुम्हारी माता को तुम्हारी सौतेली माता के कारण बहुत यातनाएं दीं। इसी कारण वे पाप के भागी बने और अब नरक भोग रहे हैं।’ इस बात को जान राजा ने पर्वत मुनि से इस समस्या का हल पूछा। इस पर मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी के व्रत का पालन करने को कहा। राजा ने विधि पूर्वक व्रत किया और व्रत का पुण्य अपने पिता को अर्पण कर दिया। व्रत के प्रभाव से राजा के सभी कष्ट दूर हो गए और उनके पिता को नरक से मुक्ति मिल गई।