यूएसए के बाद भारत में भी समस्या मोटापे से पीड़ित दर्जनों मरीज ऐसे भी थे जो वजन कम करने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी और अन्य तरीकों की जानकारी करने पहुंचे थे। ऐसे मरीजों के लिए अस्पताल के सभागार में एक कायर्शाला हुई। इसमें चीफ बैरिएट्रिक एन्ड गैस्ट्रो इंटस्टाइनल सर्जन डॉ. हिमांशु यादव ने बताया कि मेटाबॉलिज्म में हमारा शरीर दिन भर में जितनी ऊर्जा लेता है उसका 50 से 70 फीसदी खर्च होता है। मेटाबॉलिज्म के सुस्त पड़ने से मोटापा बढ़ने लगता है। उन्होंने बताया कि पहले मोटापे की सर्वाधिक समस्या यूएसए में थी लेकिन अब भारत में है।
क्या है बैरिएट्रिक सर्जरी
वेटलॉस सर्जरी को बैरिएट्रिक सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। इसके लिए जब मरीज आता है तो पहले उसकी काउंसलिंग की जाती है, क्योंकि कई बार मरीज घरवालों के दबाव में आ जाते हैं पर न ही डॉक्टर को सहयोग करते हैं। न ही सर्जरी के बाद की गाइडलाइंस को। सर्जरी कई तरीके से होती है जैसे माल एब्जारविव विधि में पेट के कुछ भाग को अलग कर छोटी आंत के अंतिम छोर से जोड़ दिया जाता है। गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी में पेट का बाईपास करते हैं और आंत के दो अलग अलग चैनल बना दिए जाते हैं। रेस्ट्रैक्टिव विधि में पेट का साइज छोटा कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को दो से तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और लगभग एक महीने तक लिक्विड डाइट पर रखने के बाद धीरे धीरे आहार शुरू किया जाता है।
वेटलॉस सर्जरी को बैरिएट्रिक सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। इसके लिए जब मरीज आता है तो पहले उसकी काउंसलिंग की जाती है, क्योंकि कई बार मरीज घरवालों के दबाव में आ जाते हैं पर न ही डॉक्टर को सहयोग करते हैं। न ही सर्जरी के बाद की गाइडलाइंस को। सर्जरी कई तरीके से होती है जैसे माल एब्जारविव विधि में पेट के कुछ भाग को अलग कर छोटी आंत के अंतिम छोर से जोड़ दिया जाता है। गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी में पेट का बाईपास करते हैं और आंत के दो अलग अलग चैनल बना दिए जाते हैं। रेस्ट्रैक्टिव विधि में पेट का साइज छोटा कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को दो से तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और लगभग एक महीने तक लिक्विड डाइट पर रखने के बाद धीरे धीरे आहार शुरू किया जाता है।
बैरिएट्रिक डायटीशियन रेणुका डंग ने बताया कि बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद शुरुआत में खान पान से जुडी कुछ समस्याएं होती हैं। लेकिन इसमें सावधानी रखनी चाहिए। चॉकलेट, फास्ट फ़ूड, चिकनाइयुक्त या जबरन खाने से सावधानी रखनी चाहिए।
ट्रंकल ओबेटिसी हृदय पर सीधा करती है आसर ट्रंकल ओबेसिटी यानि अन्य अंगों के मुकाबले पेट पर चर्बी का अधिक होना। अक्सर आपने सुना होगा कि अभी तो उस व्यक्ति से मेरी बात हुई थी और वह थोड़ी देर बाद ही खत्म हो गया। इस तरह के ज्यादातर मामले ट्रंकल औबेटिसी के होते हैं, जिसमें पेट पर अधिक मोटापे का सीधा असर हृदय पर होता है।