इतने चेहरे हैं उसके चेहरे पर, आइना तंग आकर टूट गया
आगराPublished: Oct 17, 2019 04:05:49 pm
साहित्य उत्सव में आयोजित किया गया राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को समर्पित मुशायरा
आगरा। देशभक्ति, प्रेम, दर्द और खुशी के नायाब मिश्रण से परिपूर्ण मुसायरे में देश के जाने माने शायरों ने भाग लिया। आगरा कालेज मैदान में आयोजित साहित्य उत्सव एवं राष्ट्रीय पुस्तक मेला में राष्ट्रीय एकता और खण्डता को समर्पित मुसायरे का आयोजन किया गया।
बंदायु के शायर हसीब सोज ने कहा…
वह जिसके इक इशारे पर मियां दुनियां लुटा बैठे
अब उसका हमसे मिलने में समय बर्बाद होता है।
बरेली से आए अकील नूमानी ने कहा…
बिछड़ने वाले किसी दिन ये देखने आ जा
चराग कैसे हवा के बगैर जलता है।
मुरादाबाद के मन्सूर उस्मानी ने कहा…
इतने चेहरे थे उसके चेहरे पर
आइना तंग आकर टूट गया।
लकनऊ के वाहिद अली वाहिद ने कहा…
लम्हा-लम्हा हिसाब रखिए, खयाल दिल जनाब रखिए
जाने कब आए कयामत, कब्र में भी किताब रखिए।
रामपुर से आए ताहिर फराज ने कहा…
जब कभी बोलना, वक्त पर बोलना
मुदत्तों को सोचना, मुख्तसर सोचना।
दूसरे…
उसने गुलदस्ते से चहरा ढक लिया
तितलियां बेहद परेशानी में हैं।
इसके अलावा मुरादाबाद के मंसूर उस्मानी, दिल्ली के मंगल नसीम, आगरा के डॉ. असोक रावत, ग्वालियर की शाहिदा कुरैशी, आगरा के विपिन चौहान मन ने अपनी शायरी पेश कीं। इस अवसर पर आयोजन समिति के मुख्य संयोजक अमी आधार निडर, नीतू चौधरी, दीपक सरीन, अरविन्द सिंह, कंचन चौधरी,नितेश जैन, चिराग खान, प्रिया शर्मा, कृष्णा यादव, अलका शर्मा, निकिता राठौर, कृष्ण गोपाल शर्मा, विकास कक्कड़, भरतदीप माथुर आदि मौजूद थे।