गुलचमन शेरवानीः 2006 में केन्द्र सरकार ने आदेश जारी किया था वंदे मातरम की 100 वीं वर्षगांठ पर 6 सितम्बर, 2006 को सभी सरकारी संस्थानों में वंदे मातरम गाया जाएगा। इसके खिलाफ फतवा जारी किया गया कि मुसलमान अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में पढ़ने के लिए न भेजें, जहां वंदे मातरम गाया जाता है। यह राष्ट्रविरोधी था। मैंने कहा कि वंदे मातरम कहें या न कहें, लेकिन खुलेआम विरोध न करें। इस पर हैदराबाद में मेरा पुतला फूंका गया। जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम मौलान अहमद बुखारी ने इस्लाम और निकाह से खारिज कर दिया। तब मेरा निकाह नहीं हुआ था। इस पर मैंने पत्र लिखा कि शादी होने से पहले ही निकाह से खारिज नहीं किया जा सकता। इसके बाद देशभर में मेरे पुतले फूंके जाने लगे। सऊदी अरब में पुतले फूंके गए। फिर मैंने थाना शाहगंज, आगरा में वंदे मातरम का विरोध करने वाले मौलानाओं पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिया। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और एसएसपी को भी पत्र लिखा। राष्ट्रपति से मिलने दिल्ली गया, लेकिन उन्होंने वक्त नहीं दिया। रिपोर्ट दर्ज न करने पर मैंने 14 अगस्त, 2006 से भारत माता की प्रतिमा (दीवानी चौराहा, एमजी रोड, आगरा) के समक्ष भूख हड़ताल शुरू कर दी। मेरे साथ कोई नहीं था। लोकसभा में मामला उठा। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हिन्दुस्तान के मुसलमानों को गुलचमन शेरवानी नामक मुस्लिम से सबक लेना चाहिए। खुद को राष्ट्रवादी कहने वालों के लिए शर्मनाक बात है कि अकेला मुस्लिम वंदे मातरम के लिए जूझ रहा है। इसके बाद विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल आदि संगठनों के लोग आए। हम तुम्हारे साथ हैं, यह आश्वासन देकर चले गए। मेरे पिता ने जायदाद से बेदखल कर दिया। मेरी मंगेतर ने शादी करने से इनकार कर दिया। मुझे काफिर करार दे दिया गया। इस बीच केन्द्र सरकार ने कहा कि वंदे मातरम गाना अनिवार्य नहीं है। मुस्लिम वोट बैंक के लिए सरकार ने अपना आदेश वापस लिया था। मुझे प्रशासन ने भूख हड़ताल से जबरन हटा दिया। मेरी नौकरी छूट गई। फिर मैंने शपथ ली कि जब तक मौलानाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होगा, मैं अन्
न ग्रहण नहीं करूंगा। यह भी शपथ ली कि शादी वंदे मातरम की धुन पर होगी। हाथ में तिरंगा लेकर चलूंगा।
गुलचमन शेरवानीः एक समाचार पत्र में काम करता था। समाचार पत्र के मालिक की बेटी से मेरी शादी होनी थी। पहले उन्होंने समझाया कि वंदे मातरम गाना छोड़ दो, अल्ला से तौबा कर लो। शादी होगी और नौकरी भी सलामत रहेगी। मैंने नहीं माना।
गुलचमन शेरवानीः आजमपाड़ा (शाहगंज, आगरा) निवासी बेगम हिना नाज उस्मानी से शादी हुई। विश्व की ऐतिहासिक शादी थी। मैंने लड़की वालों को बता दिया था कि हाथ में तिरंगा लेकर वंदे मातरम की धुन पर शादी करूंगा। लड़की वाले राजी हुए। बारात में कोई नहीं था। लड़की वालों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उनकी दो बेटियों के साथ जुल्म हुआ। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने लड़की वालों को हुक्का पानी बंद कर दिया। शादी में आरएएफ लगानी पड़ी। देशभर के सभी मुस्लिम प्रतिनिधि आगरा में थे। मौलवी तैयार नहीं था। मेरठ और पलवल से राष्ट्रवादी मौलाना बुलाए गए। पुलिस की देखरेख में निकाह हुआ था।
गुलचमन शेरवानीः घर वालों से कोई संपर्क नहीं है। हमारे यहां मरने के बाद फातिहा रस्म होती है, जो घर वालों ने करा दी है। मैं भी कट्टरपंथी और राष्ट्रद्रोही परिवार के साथ रहना नहीं चाहता हूं।
गुलचमन शेरवानीः हमारे देश के तमाम मुसलमानों के दिल में राष्ट्रवादी भावना है। देश के लए कुर्बानी देने वालों में 60 फीसदी मुस्लिम हैं। इस दौर में मुस्लिम अशिक्षित है। वह समाज के दबाव में आकर डर जाता है।
गुलचमन शेरवानीः मेरी बेटी गुलशमन 15 अगस्त को और बेटा गुलबदन शेरवानी 26 जनवरी को पैदा हुआ था। हमने बच्चों को स्कूल में प्रवेश कराया तो कट्टरपंथियों ने अपने बच्चे निकालने शुरू कर दिए। इस कारण हमारे बच्चों को स्कूल से निकाल दिया। तीन विद्यालयों में ऐसा हुआ। बच्चे शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। साक्षरता अभियान और बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा देने वालों के मुंह पर तमाचा है।
गुलचमन शेरवानीः हमारे देश के नेता राजनीति कर रहे हैं, लेकिन राष्ट्रनीति भूल गए हैं। कई नेताओं ने 15 अगस्त पर झंडा उल्टा फहरा दिया।
गुलचमन शेरवानीः 2006 में जब मेरा विरोध चल रहा था, तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुझे अहमदाबाद बुलाया था। रोजगार और सुरक्षा देने की बात कही थी। मैंने कहा कि सुरक्षा तो ईश्वर देगा। मैं गुजरात चला जाता तो लोग कहते कि मैं नरेन्द्र मोदी का मोहरा हूं। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर हम केन्द्र में होते तो वंदे मातरम का विरोध करने वाले को जेल में डाल देते। मोदी जी पांच साल केन्द्र में रहे हैं, कुछ नहीं हुआ। मैंने अपने बच्चों को गोद लेने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लिखा। किसी ने बच्चे गोद नहीं लिए हैं।
गुलचमन शेरवानीः जी हां, उन्होंने मुझे बहुत सम्मान दिया था। जब मैं वहां पहुंचा तो नरेन्द्र मोदी जी कहीं जा रहे थे। जब उन्हें संदेश दिया कि आगरा से गुलचमन शेरवानी आए हैं तो लौटकर गए। उस समय मैं रमजान से था। मैं गुरुवार, शुक्रवार और सोमवार का रमजान रहता हूं। उन्होंने कहा कि रमजान में सफर न करें। रात्रि में यहीं रुकें। सहरी हमारे साथ करें। नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यालय में ही नमाज की व्यवस्था की थी।
गुलचमन शेरवानीः नहीं। मैंने पत्र लिखा, लेकिन समय नहीं दिया। पत्र का जवाब आया कि प्रधानमंत्री व्यस्त हैं, समय मिलते ही बुलाया जाएगा। पूरे पांच साल निकल गए।
गुलचमन शेरवानीः सोचा तो ये था कि सरकार साथ देगी तो वंदे मातरम का विरोध करने वालों पर कार्रवाई होगी। मौलवी कहते हैं कि टीवी मत देखो लेकिन चांद देखने की सूचना टीवी पर देते हैं। 35 साल के युवा को चांद पहले दिखाई देगा या 65 साल वाले को। मुसलमानों को गुराह कर रखा है। मुसलमानों को अशिक्षित रखने की चाल है, ताकि कोई समझ न पाए। किसी दिन मेरी और मेरे परिवार की हत्या कर दी जाएगी कोई गवाह भी नहीं होगा। सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन इन्हें साक्ष्य माना जाएगा, इसमें संदेह है।