हर बार ताज की सुरक्षा की खातिर बलि का बकरा बनने वाले अब सभी औद्योगिक व व्यवसायिक संगठन एकजुट हो गए हैं। डेढ़ दर्जन संगठनों ने मिलकर लड़ाई लड़ने के लिए पर्यावरण उद्योग एवं रोजगार संरक्षण समिति का गठन किया। जिसके तहत 19 सितम्बर को शाम 5 बजे से सूरसदन से शहीद स्मारक तक शांति मार्च कर विजन डॉक्यूमेंट में उद्योगों को चार कैटेगरी में विभाजित किए जाने का विरोध किया जाएगा। यह जानकारी नेशनल चैम्बर सभागार जीवनी मंडी में आयोजित बैठक में चैम्बर के अध्यक्ष राजीव तिवारी व लघु उद्योग भारती के प्रदेशाध्यक्ष राकेश गर्ग ने दी। आगरा आयरन फाउंड्रीज एसोसिएशन के अमर मित्तल कहा कि एक बार फिर उद्योगों को उजाड़ने की बात की जा रही है। वैज्ञानिक अध्यन के बगैर उद्योगों पर थोपा गया विजन डॉक्यूमेंट के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी।
पूर्व विधायक केशो मेहरा ने कहा कि नीरी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि पीएम-10 व पीएम 2.5 का प्रदूषण उद्योगों से नहीं बल्कि माल रोड और पालीवाल पार्क की तरह महीनों खुदी पड़ी रहने वाली सड़कों के कारण बढ़ रहा है। यह कण मार्बल को नहीं बल्कि इंसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। एक बारिश में उखड़ी सड़कों पर उड़ती धूल से बढ़ रहे प्रदूषण पर आंखें बंद क्यों। पर्यावरणविद् उमेश शर्मा ने कहा कि ट्रीटमेंट के बिना यमुना में सीवर गिर रहे हैं। प्रदूषण स्तर बढ़ाने के लिए उद्योग कम सरकारी विभाग ज्यादा जिम्मेदार हैं।
एक तरफ तो राज्य सरकार ने अपने एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत आगरा में जूता उद्योग को चुना है। जबकि दूसरी ओर जूते पर सोल लगने के उद्योग को ग्रीन कैटेगरी में डाल दिया। यानि जूते में सोल लगाने के लिए 10 हजार 400 वर्ग किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा? जूता उद्योग प्रभावित हुआ तो लगभग 8 हजार लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसी तरह ऑटोमोबाइल सर्विस सेक्टर से 30 हजार परिवारों का चूल्हा जलता है।