फाइव स्टार होटल में हिंदी
इस अवसर पर सत्र की अध्यक्षता शिकोहाबाद के विद्वान आलोचक डॉ अरविंद तिवारी ने की।इस अवसर पर उन्होंने कहा- यह क्षेत्र व्यंग्य का क्षेत्र नहीं है,लेकिन बड़े मनोयोग से अब व्यंग्य समझ आने लगा है। व्यंग्य को लेकर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,भारत ने सार्थक पहल की है, इसके लिए न्यास को बधाई। व्यंग्य को लेकर अब लेखकों के विजन क्लीयर हुए है,इससे व्यंग्य का लक्ष्य भी सधा है। विडम्बनाएं व्यंग्य लेखकों की विषय का आधार बनती है। विषय खुद लेखक को आमन्त्रित करता है। इस मौके पर अरविंद तिवारी ने फाइव स्टार होटल में हिंदी रचना का पाठ किया।
इस अवसर पर सत्र की अध्यक्षता शिकोहाबाद के विद्वान आलोचक डॉ अरविंद तिवारी ने की।इस अवसर पर उन्होंने कहा- यह क्षेत्र व्यंग्य का क्षेत्र नहीं है,लेकिन बड़े मनोयोग से अब व्यंग्य समझ आने लगा है। व्यंग्य को लेकर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,भारत ने सार्थक पहल की है, इसके लिए न्यास को बधाई। व्यंग्य को लेकर अब लेखकों के विजन क्लीयर हुए है,इससे व्यंग्य का लक्ष्य भी सधा है। विडम्बनाएं व्यंग्य लेखकों की विषय का आधार बनती है। विषय खुद लेखक को आमन्त्रित करता है। इस मौके पर अरविंद तिवारी ने फाइव स्टार होटल में हिंदी रचना का पाठ किया।
जबरदस्ती नहीं लिख सकता व्यंग्य
आगरा आकाशवाणी केंद्र की निदेशक डॉ राज्यश्री बनर्जी इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा- निःसंदेह नेशनल बुक ट्रस्ट को बधाई कि इस अनूठे पुस्तक मेला का आयोजन शहर में किया है।इतनी अच्छी रचनाओं को सुनना, लेखकों से मिलना वाकई में सुखद है। व्यंग्य को सुनना मन को सुकून देता है। व्यंग्य कोई जबरदस्ती नहीं लिख सकता। मुझे याद है कि मेरे जीवन में आरम्भिक दिनों में जो कुछ भी अनूठा था, वह व्यंग से कम नहीं था। इस अवसर पर डॉ. बनर्जी ने अपने जीवन के अनूठे संस्मरण सुना कर सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
आगरा आकाशवाणी केंद्र की निदेशक डॉ राज्यश्री बनर्जी इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा- निःसंदेह नेशनल बुक ट्रस्ट को बधाई कि इस अनूठे पुस्तक मेला का आयोजन शहर में किया है।इतनी अच्छी रचनाओं को सुनना, लेखकों से मिलना वाकई में सुखद है। व्यंग्य को सुनना मन को सुकून देता है। व्यंग्य कोई जबरदस्ती नहीं लिख सकता। मुझे याद है कि मेरे जीवन में आरम्भिक दिनों में जो कुछ भी अनूठा था, वह व्यंग से कम नहीं था। इस अवसर पर डॉ. बनर्जी ने अपने जीवन के अनूठे संस्मरण सुना कर सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
ये रहे उपस्थित
व्यंग्य पाठ के इस सत्र ने आगरा शहर के मिजाज को मौसम के अनुकूल बदल दिया। उपस्थिति बतला रही थी कि व्यंग्य के प्रति उनकी रुचि कितनी है। शाम के मिजाज को व्यंग्यकारों के चुटीले व्यंग्य बाणों ने मौसिकी बदल दीं। पुस्तक प्रेमियों की हालत यह थी कि उनके हाथों में किताबों के थैले थे और मन्त्रमुग्ध चेहरे, जो बतला रहे थे कि साहित्यिक कार्यक्रमों में शहर की जनता कितने मन से भागीदारी कर रही हैं। गीतकार सोम ठाकुर, डॉ. शशि तिवारी, दीपक सरीन, श्याम लाल कोरी के अलावा अनेक पत्रकार और शिक्षाविद भी मौजूद थे।
व्यंग्य पाठ के इस सत्र ने आगरा शहर के मिजाज को मौसम के अनुकूल बदल दिया। उपस्थिति बतला रही थी कि व्यंग्य के प्रति उनकी रुचि कितनी है। शाम के मिजाज को व्यंग्यकारों के चुटीले व्यंग्य बाणों ने मौसिकी बदल दीं। पुस्तक प्रेमियों की हालत यह थी कि उनके हाथों में किताबों के थैले थे और मन्त्रमुग्ध चेहरे, जो बतला रहे थे कि साहित्यिक कार्यक्रमों में शहर की जनता कितने मन से भागीदारी कर रही हैं। गीतकार सोम ठाकुर, डॉ. शशि तिवारी, दीपक सरीन, श्याम लाल कोरी के अलावा अनेक पत्रकार और शिक्षाविद भी मौजूद थे।