फतेहाबाद रोड स्थित होटल जेपी पैलेस में न्यूरोट्रॉमा सोसाइटी ऑफ इंडिया और न्यूरोलाॅजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की न्यूरोटाॅमा 2019 शुक्रवार सुबह शुरू हुई। सम्मेलन के पहले दिन तीन सभागारों में कई तकनीकी सत्र आयोजित हुए। न्यूरोलाॅजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरसी मिश्रा ने बताया कि सम्मेलन में देश-दुनिया के 300 से अधिक डाॅक्टर जुटे हैं। 100 से अधिक न्यूरो विशेषज्ञ शोध पत्र रख रहे हैं और तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान किया जा रहा है। नई चिकित्सा पद्धतियों से अन्य चिकित्सकों को अवगत कराया जा रहा है। न्यूरोट्राॅमा व बे्रेन हैंब्रेज के नए शोधों पर चर्चा की जा रही है। न्यूरोट्राॅमा सोसायटी ऑफ इंडिया के सचिव डॉ. सुमित सिन्हा ने बताया कि न्यूरोटाॅमा के मरीजों का इलाज अब आधुनिक तकनीक पर आधारित है। एक समय था जब यह डाॅक्टर अपने अनुभव के आधार पर करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय में इस क्षेत्र में काफी परिवर्तन आए हैं। उस समय न्यूरो की जांच के लिए उपकरण नहीं थे। अब तो सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन से बीमारियों के बारे में आसानी से पता लगाकर उपचार कर सकते हैं।
न्यूरोटाॅमा सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. वी सुंदर ने बताया कि इस सम्मेलन में न्यूरोट्रामा के कारणों, लक्षणों, परिणामों से लेकर तमाम पहलुओं पर चर्चा की जा रही है। एक निष्कर्ष तक पहुंचने और इसके बाद सरकार से सिफारिश कर सडक सुरक्षा के नियमों एवं गाइडलाइन को लागू कराने की सिफारिश सरकार से की जाएगी। आयोजन अध्यक्ष प्रा. वीएस मेहता ने कहा कि यह काॅन्फ्रेंस न्यूरोटाॅमा के इलाज में मील का पत्थर साबित होगी, क्योंकि यहां न्यूरोट्रॉमा के इलाज पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने हैं।
टोरंटो के डॉ. क्रिस्टोफर एस आहूजा, नेपाल के प्रो. लिप चेरियन, यूएसए के डॉ. जेम्स डेविड गेस्ट, प्रो जैक आई जेलो, डॉ. जोगी वी पतीसापू, डॉ. रेंडल किस्नट, डॉ. शंकर गोपीनाथ, डॉ. शेकर एन करपड, ऑस्ट्रेलिया के प्रो. पीटर रिली, स्विटजरलैंड की डॉ. एल्डा रोका, नीदरलैंड के प्रो. डब्ल्यू सी पाॅल, चाइना के डॉ. यांगहांग वैंग और यूनाइटेड किंगडम की डॉ. संथानी एम सेल्वेंडन मौजूद रहीं।