रहते हैं पौने तीन सौ तरह की प्रजातियों के पक्षी
आगरा से सटे बाह में चंबल सेंचुरी है। यहां करीब पौने तीन सौ से अधिक प्रजातियों के पक्षी रहते हैं। इनमें दूर दराज से आए विदेशी पक्षी मेहमान भी शामिल हैं। वहीं कई पुराने पेड़ों पर विभिन्न प्रकार के चमगादड़ भी रहते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि निपाह वायरस का संक्रमण का खतरा चमगादड़ से हो रहा है। इसलिए सतर्कता बरतने की जरूरत है। वन विभागन ने गामीणों को जागरूक किया है।
आगरा से सटे बाह में चंबल सेंचुरी है। यहां करीब पौने तीन सौ से अधिक प्रजातियों के पक्षी रहते हैं। इनमें दूर दराज से आए विदेशी पक्षी मेहमान भी शामिल हैं। वहीं कई पुराने पेड़ों पर विभिन्न प्रकार के चमगादड़ भी रहते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि निपाह वायरस का संक्रमण का खतरा चमगादड़ से हो रहा है। इसलिए सतर्कता बरतने की जरूरत है। वन विभागन ने गामीणों को जागरूक किया है।
यहां बनी रहती है पर्यटकों की आवाजाही
बता दें कि चंबल सेंचुरी में उत्तर प्रदेश के साथ साथ राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा के पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। ऐसे में इस इलाके में निपाह वायरस से अलर्ट रहना आवश्यक है। राजस्थान की सीमा से सटे कई इलाकों में ग्रामीणों को खतरे से अलर्ट किया गया है। बाह क्षेत्र के कार्यवाहक रेंजर सर्वेश भदौरिया का कहना है कि चमगादड़ वाले पेड़ों के इलाके से ग्रामीणों को दूरी बनाने की सलाह दी गई है।
बता दें कि चंबल सेंचुरी में उत्तर प्रदेश के साथ साथ राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा के पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। ऐसे में इस इलाके में निपाह वायरस से अलर्ट रहना आवश्यक है। राजस्थान की सीमा से सटे कई इलाकों में ग्रामीणों को खतरे से अलर्ट किया गया है। बाह क्षेत्र के कार्यवाहक रेंजर सर्वेश भदौरिया का कहना है कि चमगादड़ वाले पेड़ों के इलाके से ग्रामीणों को दूरी बनाने की सलाह दी गई है।
स्मारकों में हैं चमगादड़ों का डेरा
आगरा में हजारों पर्यटक विभिन्न स्मारकों को देखने आते हैं। इन स्मारकों में भी चमगादड़ रहते हैं। ऐसे में यहां भी इस वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावनाएं रहती हैं।
आगरा में हजारों पर्यटक विभिन्न स्मारकों को देखने आते हैं। इन स्मारकों में भी चमगादड़ रहते हैं। ऐसे में यहां भी इस वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावनाएं रहती हैं।