शौच या लघुशंका के लिए उठाते हैं जान का खतरा
रामबाग क्षेत्र में बना ये प्राथमिक विद्यालय कई सालों से संचालित है। इस विद्यालय में जब पत्रिका टीम ने निरीक्षण किया, तो यहां कमरे के नाम पर एक छोटा सा स्टोररूम नुमा कमरा था। जिसमें स्कूल का जरूरी सामान रखा जा सके। टीनशेड में संचालित होने वाले इस स्कूल में ठंड से बचाव के लिए चारों ओर दीवारें भी नहीं हैं। कड़कड़ाती सर्दी में यहां पढ़ने वाले बच्चे सर्द हवाओं के बीच अपनी तकदीर लिखते हैं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका रीना राय ने बताया कि इस विद्यालय में 70 से अधिक बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। जिसमें सबसे अधिक 42 लड़कियां हैं। जब भी शौच या लघुशंका के लिए बच्चे शिक्षकों से कहते हैं, तो बच्चों को शिक्षकों द्वारा ले जाया जाता है। विद्यालय के बाहर वाहनों का निकलना लगा रहता है। इस कारण बच्चों को अकेले शौच या लघुशंका के लिए बाहर भेजना खतरे से खाली नहीं रहता है। कई बार मांग की गई कि यहां शौचालय बनवाया दिया जाए। लेकिन, अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। प्राथमिक शिक्षक के पदाधिकारी राजीव वर्मा का कहना है कि प्राथमिक विद्यालयों में शौचालयों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग को लगातार पत्र लिखे गए। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रामबाग क्षेत्र में बना ये प्राथमिक विद्यालय कई सालों से संचालित है। इस विद्यालय में जब पत्रिका टीम ने निरीक्षण किया, तो यहां कमरे के नाम पर एक छोटा सा स्टोररूम नुमा कमरा था। जिसमें स्कूल का जरूरी सामान रखा जा सके। टीनशेड में संचालित होने वाले इस स्कूल में ठंड से बचाव के लिए चारों ओर दीवारें भी नहीं हैं। कड़कड़ाती सर्दी में यहां पढ़ने वाले बच्चे सर्द हवाओं के बीच अपनी तकदीर लिखते हैं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका रीना राय ने बताया कि इस विद्यालय में 70 से अधिक बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। जिसमें सबसे अधिक 42 लड़कियां हैं। जब भी शौच या लघुशंका के लिए बच्चे शिक्षकों से कहते हैं, तो बच्चों को शिक्षकों द्वारा ले जाया जाता है। विद्यालय के बाहर वाहनों का निकलना लगा रहता है। इस कारण बच्चों को अकेले शौच या लघुशंका के लिए बाहर भेजना खतरे से खाली नहीं रहता है। कई बार मांग की गई कि यहां शौचालय बनवाया दिया जाए। लेकिन, अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। प्राथमिक शिक्षक के पदाधिकारी राजीव वर्मा का कहना है कि प्राथमिक विद्यालयों में शौचालयों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग को लगातार पत्र लिखे गए। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जनप्रतिनिधियों में इच्छाशक्ति की कमी
प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। लेकिन, एक बुनियादी जरूरत को पूरा करने में आगरा जनपद में शिक्षा विभाग, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संस्थाएं असमर्थ हैं। नगर निगम मेयर शहर में सफाई के लिए अभियान चलाने की बात करते हैं, तो सामाजिक संस्थाएं शहर में पानी के प्याउ और शहर को स्वच्छ रखने के लिए रंगाई, पुताई आदि काम करती हैं। लेकिन, मासूम बच्चों के लिए बुनियादी जरूरत शौचालय की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। लेकिन, एक बुनियादी जरूरत को पूरा करने में आगरा जनपद में शिक्षा विभाग, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संस्थाएं असमर्थ हैं। नगर निगम मेयर शहर में सफाई के लिए अभियान चलाने की बात करते हैं, तो सामाजिक संस्थाएं शहर में पानी के प्याउ और शहर को स्वच्छ रखने के लिए रंगाई, पुताई आदि काम करती हैं। लेकिन, मासूम बच्चों के लिए बुनियादी जरूरत शौचालय की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।